मधुकर पवार* थियेटर में नाटक का मंचन हो रहा है। ज़मींदार को उनका कारिंदा किसी मुद्दे पर सलाह देने को आतुर हो रहा है लेकिन अदब के कारण कहने से सकुचा भी...
M Chenna Nagaraj* In a curious scientific development that could widen the knowledge of life systems and ecology, a  team of young scientists and mentored by veterans have found a new genus of burrowing...
नन्दिता मिश्र* ऊपर का यह चित्र हमारे घर पर हाथ से बनी राखी का चित्र है। जब मैं छोटी थी तब अम्मा सुंदर-सुंदर राखियाँ बना कर मेरे नाम से...
Weekend Musings Sudhirendar Sharma* Aren’t there two distinct sets of persons - one, whom we term ‘friend’ and the other, the ‘enemy’? Aren’t both identities embedded in one person...
मधुकर पवार* दीपावली मुबारक हो आप सभी को! इस अवसर पर हमारी हार्दिक शुभकामनाएं! दीपावली का त्यौहार खूब उमंग और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। होली, दशहरा, दीपावली, ईद और क्रिसमस के...
सत्येन्द्र प्रकाश* हम हैं लिट्टी-चोखा - भारत के एक ‘पिछड़े’ प्रांत के व्यंजन! शुरुआत में ही दो बातों की माफी मांग लेते हैं। पहला, अपने उद्भव के प्रांत को पिछड़ा कहना। दूजा स्वयं को...
डॉ मधु कपूर* हमें दर्शनशास्त्र की अध्येता एवं प्रोफेसर डॉ मधु कपूर का यह लेख प्राप्त हुआ है जिसमें उन्होंने एक दार्शनिक सिद्धांत को बहुत रुचिकर ढंग से समझाया है। यह लेख...
डॉ मधु कपूर* करीब सप्ताह भर पहले हमने दर्शनशास्त्र की अध्येता एवं प्रोफेसर डॉ मधु कपूर का यह लेख (मैं कहता आँखिन देखी) प्रकाशित किया था जिसमें उन्होंने हमारे देखने और...
  नन्दिता मिश्र* आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं उसमें संचार और सम्पर्क के साधनों की कोई कमी नहीं है। जितना व्यक्तिगत सम्पर्क इस समय हो रहा है, इतना पहले कभी नहीं...
डॉ मधु कपूर* पिछले दो सप्ताह में डॉ मधु कपूर के दो लेख आप पहले पढ़ चुके हैं। पहला था “मैं कहता आँखिन देखी” और दूसरा “कालः पचतीति वार्ता”  -...

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