अरविंद मोहन* गाँधी की पत्रकारिता बहुत बड़ा विषय है- शायद मेरे जैसे लोगों से न सम्हलने वाला। उनके एक अखबार ‘इंडियन ओपिनियन’ पर वर्षों का समय लगाकर एलिजाबेथ हाफ्मेयर ने ‘द गाँधी प्रेस’ जैसी...
आखिरी पन्ना ‘आखिरी पन्ना’ उत्तरांचल पत्रिका के लिए लिखा जाने वाला एक नियमित स्तम्भ है। यह लेख पत्रिका के अक्तूबर 2019 अंक के लिए लिखा गया। जब...
आलोक कुमार आज बीते सदी के नायक महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मना रहे हैं। वह इंसानियत के अद्भूत ब्रांड एम्बेसडर रहे। दुनिया में भारत की धवल पहचान बनाने में गांधी का...
आज की बात कुछ चीजों से बचा नहीं जा सकता। जैसे आपने ऐसी वैबसाइट बनाई है जिस पर आप आए दिन किसी ना किसी राजनीतिक-सामाजिक मुद्दे पर टिप्पणी करते रहते हैं...
आलोक कुमार* सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। देश के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय तक को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के अधीन कर दिया। यह मामला 2010 से लंबित...
राजेन्द्र भट्ट लगता है कि हम इस समय एक बड़े नक्कारखाने में हैं जिसमें, सीधे-सीधे कहें तो ‘पोस्ट-ट्रुथ’ का शोर, धोंस-पट्टी और बेसुरापन है। सोशल मीडिया ने सम्पादकीय संस्था तथा तथ्यों की पड़ताल के फिल्टर...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती - 2 पिछली बार ज़िक्र किया था कि गीता में कितने सुंदर तरीके से स्वयं कृष्ण कहते हैं कि अगर जड़ वैराग्य सही रास्ता...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती – 3 पिछली बार नल-दमयंती की प्रेम- कथा की बात कही थी। नोट कीजिए कि ये प्रेम-कथा हमारे संस्कृत ग्रंथ ‘महाभारत’ में है। बल्कि इस...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती – 4 बहुत समय से मैं  ‘सेन वॉइस’ यानि विवेकपूर्ण आवाज़ के बारे में कुछ लिखना चाहता रहा हूँ। इसके पीछे एक प्रसंग है...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती – 5 कैसे होते हैं सच्चे वीर? क्या होती है वीरता? हम बड़े भाग्यवान हैं कि देश के जन-जन में, कण-कण में बसे राम हमारे...

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