इस स्तंभकार के बहुत से जानकार इस बात को लेकर परेशान हो सकते हैं कि उनका ये मित्र लोकपाल विषय को तमाशा बताकर इसे हल्के में क्यूँ ले रहा है।
कभी-कभी लगता है कि आज के भारतीय मध्यम-वर्ग ने अब वंचितों और आदिवासियों की तरफ
से पूरी तरह से मुँह मोड़ लिया है। राजनीतिज्ञों की हम यानि मध्यम वर्ग कड़ी आलोचना करता
रहता है (और उसमें कोई बुराई नहीं...
आज की बात
आज टाइम्स ऑफ इंडिया में और बीते दिन यानि कल इंडियन एक्सप्रेस में इस आशय की खबरें
आईं कि सुप्रीम कोर्ट के नवगठित ‘कोलेजियम’ ने अपने ही साथी
जजों द्वारा कुछ हफ्ते...
दुनिया के साथ-साथ देश के ‘साइबर-स्पेस’ में भी काफी भीड़ है। हिन्दी की दुनिया में भी है ही। हम ये कहने बिलकुल नहीं जा रहे कि हम इस भीड़ से अलग और कुछ बेहतर करने जा...
सीबीआई को लेकर पिछले दिनों सोशल मीडिया पर इतना कुछ लिखा जा रहा है कि इस स्तंभकार को लगा कि मैं आखिर क्या नया कह लूँगा और इसलिए इस कीचड़ में उतरने का मन नहीं था। लेकिन...
भाजपा के जो प्रतिबद्ध टाइप वोटर हैं, वह तो थोड़ा-बहुत नाराज़ होते हुए भी उसके पक्ष मे वोट करने जाएँगे ही लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों ने क्या इस पर विचार किया कि उसके इस कदम से दलित और पिछड़े वर्ग के लोग भाजपा के खिलाफ ज़्यादा शिद्दत से गोलबंद हो सकते हैं?