राजेन्द्र भट्ट* ‘जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध’ - रामधारी सिंह दिनकर की यह कालजयी चेतावनी समर से मुंह छिपाए, सुविधाजीवी वर्ग को आज भी आईने की तेज चमक दिखा सकती...
राजेन्द्र भट्ट* राजेन्द्र भट्ट नए-नए साहित्यिक प्रयोग करते रहते हैं। उनकी प्रयोगशाला हमारी वेबपत्रिका है। अभी दो-चार रोज़ पहले उनका ऐसा ही प्रयोग "मूली लौट आई" के साथ...
राजेन्द्र भट्ट* बच्चों के दिलों-दिमागों में बहुत बड़प्पन और समझदारी होती है। दरअसल ‘सेनाइल’ यानी खड़ूस होना कोई पेजमार्क नहीं है कि साठ साल के बाद ही शुरू हो। यह तो उम्र के शुरू   के पड़ावों से ही...
ओंकार केडिया* की कविताएं आप इस वेब पत्रिका में पहले भी पढ़ चुके हैं। पूर्व में प्रकाशित उनकी अनेक कविताओं में से कुछ आप यहाँ, यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं। उनका कविता संग्रह इन्द्रधनुष भी...
सत्येंद्र प्रकाश* सत्येंद्र प्रकाश इस वेब पत्रिका पर पिछले कुछ समय से निरंतर लिख रहे हैं और मानव मन की अतल गहराइयों को छू सकने की अपनी क्षमता से हमें अच्छे से वाक़िफ करवा...
*स्त्री बनाम पुरुष* क्या सच में ही मिला है पुरुषों को विरासत में पहाड़ सा धैर्य और पत्थर सी कठोरता? क्या सच में जानते...
अजंता देव* नया स्त्री प्रबोध -१ अगर पुरुष तुम्हारी देह माँगेतुम उसकी आत्मा माँगोऔर अगर वह तुम्हारी आत्मा माँगेतुम्हें उसकी देह माँगनी चाहिए । नया स्त्री प्रबोध -२
सत्येंद्र प्रकाश* सत्येंद्र प्रकाश इस वेब पत्रिका पर पिछले कुछ समय से निरंतर लिख रहे हैं और मानव मन की अतल गहराइयों को छू सकने की अपनी क्षमता से हमें अच्छे से वाक़िफ...
सत्येंद्र प्रकाश* गर्मी की छुट्टियाँ खत्म हुईं थीं .  पहली जुलाई को छुट्टियों के बाद गाँव का स्कूल खुल रहा था। गाँव के सामान्य जीवन की चहल पहल थोड़ी बढ़ी थी। दस बीस बच्चे जो भी...
सत्येन्द्र प्रकाश* इस लेख में मैं आज आपको अपने गाँव की तीन महिलाओं की कहानी सुनाऊँगा। पर पहले ही बता दूँ कि ये कहानी असाधारण महिलाओं की नहीं है। बल्कि अति साधारण ऐसी तीन...

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