मनोज पांडे*
कैक्टस हँस रहे हैं – एक
वर्षों से बरबस बरसती गर्म रेत,टीला बनाते-बिगाड़ते अंधड़ोंऔर सूखा उगलती रातों के बादआज यहां टपक रही हैं बूँदेंजलती ज़मीन पर.
कर्नल अमरदीप* इस वेबपत्रिका के लिए नए नहीं हैं। आप पहले भी उनकी कवितायें यहाँ देख सकते हैं। आज प्रकाशित की जा रही ये दोनों कवितायें सुकोमल अनुभूतियों की ...
मनोहर चमोली ‘मनु’
हिन्दी या यूं कहें कि हिन्दुस्तानी भाषा के सार्थक उपयोग की सरल, उपयोगी, व्यावहारिक और आसानी से उपलब्ध पुस्तकें प्रायः बहुत ही कम है। हाल ही में जाने-माने भाषाविद डॉ॰...
विपुल मयंक*
असलम का दोस्त था इरफ़ान। पकिया। दोनों क्लास दस में थे - एक ही स्कूल में! असलम की कोठी के बग़ल में थी इरफ़ान की कोठी। दोनों कोठियों के बड़े अहाते...
Satish Pandya*
Is she awake? Yes. Vicky’s pampered spouse, Nancy, gets up with a lazy yawn after her suave hubby coaxes her by patting her bare midriff, and placing a...
ओंकार केडिया*
मुझे नहीं देखने
शहरों से गाँवों की ओर जाते
अंतहीन जत्थे,
सैकड़ों मील की यात्रा पर निकले
थकान से...
Ajeet Singh*
(Radio-Vaani 2)
World media had assembled in Simla (now Shimla) for the coverage of the historic Simla Summit between India and Pakistan in July 1972...
पारुल बंसल*
क्षणिकाएं
एक -
प्रेम ने सुनी सिसकी कानों से
और आ गया आंखों के रास्ते से!
पूनम जैन*
राम तो बसते हैं हर कण में, हर मन मेंवो हो श्रमिक, किसान या दलित हर जन मेंजहां इनका श्रम है, वहीं राम का मन्दिर हैइस धरती,...
Ajeet Singh*
(Radio-Vaani 7) - Special on Kargil Vijay Divas 26th July
Kargil was largely a deserted town when our cavalcade reached here in the midst...