गौरी डे * पेड़ का धर्म पेड़ एक, जड़ अनेकबढ़ता है पेड़और बढ़ती हैं टहनियाँ भी बढ़ा हुआ पेड़ छाया देता हैऔर वो...
पूनम जैन* राम तो बसते हैं हर कण में, हर मन मेंवो हो श्रमिक, किसान या दलित हर जन मेंजहां इनका श्रम है, वहीं राम का मन्दिर हैइस धरती,...
अजंता देव*        वह थोड़ा हंसा और सोचने लगा कि री की नज़र कहाँ-कहाँ जाती थी। उसे कई बार अपना जीवन बेस्वाद लगता था - वही एक कमरा, वही एक काम। सुबह से...
Ajeet Singh* (Radio-Vaani 1) During my reporting assignments for the AIR and Doordarshan News which I did for almost three decades, there were several occasions when I met celebrities, even...
शोभना तनेजा स्त्री मन की गहन अनुभूतियों और अनुराग की कवियत्री हैं। उनके 'हायकू' भी सूक्तियों की तरह अभिभूत करते हैं। ये मन को कहीं गहरे छू लेने वाली, निर्मल और गहन अनुराग की सरल कविताएं हैं...
Rocky Gauri* 1. The Truth pen Old pen died drawing Its final word-- beautiful Young pen begins drawing Its first word –...
योगेन्द्र दत्त शर्मा* कभी जनकवि नज़ीर अकबराबादी ने 'आदमीनामा' लिखा था। उस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लगभग दो सदियों बाद मैंने नये दौर का 'एक और आदमीनामा' तैयार किया है। सो प्रस्तुत...
विपुल मयंक* असलम का दोस्त था इरफ़ान। पकिया। दोनों क्लास दस में थे - एक ही स्कूल में! असलम की कोठी के बग़ल में थी इरफ़ान की कोठी। दोनों कोठियों के बड़े अहाते...
मंत्रोच्चार मुझे लगता है मेरे नित्य मंत्रोच्चार कीमोटी परत शिवालय पर चढ़ गई हैमंत्रों के तीव्र स्वर में अभिव्यंजना करते-करतेजिह्वा विराम चाहती है क्योंकि भोलेनाथउस जटिल परत के नीचे...
Onkar Kedia*  “Do you know what happens after death?” he asked me. “How will you know? You have never died,” he answered his own question. “What nonsense,” I was livid. “Even...

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