पारुल हर्ष बंसल*
एक चुटकी सिंदूर
एक चुटकी सिंदूर,
जिसकी क्रय वापसी है अति दुर्लभ।
आ गिरी दामन में...
ओंकार केडिया*
एक उदास सी चिड़िया
वक़्त-बेवक्त
कभी भी आ जाती है
मुझसे मिलने,
मेरा हाल जानने!
Ajeet Singh*
(Radio-Vaani 8) – Special on the 20th Anniversary of 9/11
On the first anniversary of the 9/11 attacks on its World Trade Centre towers in New York and the...
Satish Pandya*
Is she awake? Yes. Vicky’s pampered spouse, Nancy, gets up with a lazy yawn after her suave hubby coaxes her by patting her bare midriff, and placing a...
राकेशरेणु*
स्त्री - एक
एक दाना दोवह अनेक दाने देगीअन्न के।
एक बीज दोवह विशाल वृक्ष सिरजेगीघनी छाया और फल के।
एक कुआँ खोदोवह जल...
प्रेम चंद जयंती (31 जुलाई) पर विशेष
राजेंद्र भट्ट*
कथाकार प्रेमचंद की कथाओं - तावान और गुल्ली-डंडा पर प्राध्यापकों और समालोचकों की भाषा-शैली की बजाय साधारण पर संवेदनशील और ‘फोकस्ड’ पाठक...
Vishakh Rathi*
We are sitting on a beach. It's a nice breezy day, the sun is not too warm. We are having beer, or lemonade. The vast ocean spread out before us inspires...
ओंकार केडिया*
इन उजड़ी झोंपड़ियों के आसपास
कुछ टूटी चूड़ियां हैं,कुछ बदरंग बिंदियाँ हैं,कुछ टूटे फ्रेम हैं चश्मों के,कुछ तुड़ी-मुड़ी कटोरियाँ हैं.यहाँ कुछ अधजली बीड़ियाँ हैं,कुछ...
ओंकार केडिया*
उन्होंने कहा,
मरने के लिए तैयार रहो,
सारा इंतज़ाम है हमारे पास-
गोली, चाकू, डंडा, फंदा,
तुम ख़ुशकिस्मत हो,
ओंकार केडिया*
बेटे,
बहुत राह देखी तुम्हारी,
बहुत याद किया तुम्हें,
अब आओ, तो यहीं रहना,
खेत जोत लेना अपना,