पारुल बंसल* दुपट्टा - 1 सूर्य की किरणों की डोर बांधकर सुखाया है मैंने अपना वह दुपट्टा जिसे ओढ़ भीगी थी यौवन...
आईने आईने देखना मैंने बहुत बाद में जाना बचपन में तो मौसियां बना देती थीं मेरे बालों की दो चोटियां
अजंता देव*        वह थोड़ा हंसा और सोचने लगा कि री की नज़र कहाँ-कहाँ जाती थी। उसे कई बार अपना जीवन बेस्वाद लगता था - वही एक कमरा, वही एक काम। सुबह से...
पुष्पिता अवस्थी* 1. वसंत धरती से उपजता है वसंत अंगड़ाई लेता हुआ हवाओं में  बदल देता है पृथ्वी को अपनी ही प्रकृति...
1 - ज़िन्दगी के इस सफ़र में आये कैसे मरहलेबघनखे हाथों में लेकर लोग मिलते हैं गले ! मैं जिरहबख़्तर पहनकर घूमता हूं शहर मेंऔर आख़िर दूर करता हूं दिलों...
क्षणिकाएं १- एक पंक्ति जब मचाती हैअंतर्द्वंद मध्यरात्रिभोर तक उसकादम घुट चुका होता है२-बड़ी बेचैन थी वो पंक्तिखुद को पन्ने परन्योछावर करने कोऔर अपनी काया परचित्रकारी पाने को३-पंक्तियों का पंक्तिबद्ध ना होनाअर्थ के अनर्थ...
राकेशरेणु* स्त्री - एक एक दाना दोवह अनेक दाने देगीअन्न के। एक बीज दोवह विशाल वृक्ष सिरजेगीघनी छाया और फल के। एक कुआँ खोदोवह जल...
Satish Pandya*                                                            Is she awake? Yes. Vicky’s pampered spouse, Nancy, gets up with a lazy yawn after her suave hubby coaxes her by patting her bare midriff, and placing a...
विपुल मयंक* प्रिंसि का ऑफ़िस भरा था – खचाखच। टीचर्स, डीन, स्टूडेंट्स यूनियन के मेंबर्स, प्रिन्सपल खुद और था एक्यूसड् – आलोक जोशी।    आलोक कॉलेज का फेमस डिबेटर था। कल हॉस्टल...
Rocky Gauri* 1. The Truth pen Old pen died drawing Its final word-- beautiful Young pen begins drawing Its first word –...

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