राजेन्द्र भट्ट* बच्चों के दिलों-दिमागों में बहुत बड़प्पन और समझदारी होती है। दरअसल ‘सेनाइल’ यानी खड़ूस होना कोई पेजमार्क नहीं है कि साठ साल के बाद ही शुरू हो। यह तो उम्र के शुरू   के पड़ावों से ही...
विशाख राठी* पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार (17 दिसंबर) को पुस्तक आंदोलन से जुड़ी प्रमुख कार्यकर्ता और कई महत्वपूर्ण पुस्तकों की अनुवादक चंद्रकिरण राठी कोरोना के बाद उत्पन्न जटिलताओं के कारण चल बसीं। श्रीमती राठी...
Ajeet Singh* (Radio-Vaani 3) The CRPF inspector saluted me as he entered my office at Radio Kashmir Srinagar, in tow with two women constables. I knew him well. He was...
Satish Pandya*                                                            Is she awake? Yes. Vicky’s pampered spouse, Nancy, gets up with a lazy yawn after her suave hubby coaxes her by patting her bare midriff, and placing a...
इस वेब-पत्रिका में अजंता देव की कविताओं की यह तीसरी कड़ी है। पहले आप उनकी कविताएं यहाँ और यहाँ पढ़ चुके हैं। इस बार की कविताएं कुछ अलग मिजाज़ की हैं लेकिन फिर भी जिन लोगों...
अमरदीप* सिर्फ धूप पहनना सुनो आज तुम धूप पहनना सिर्फ धूप सजा लेना अपनी माँग में!
मंत्रोच्चार मुझे लगता है मेरे नित्य मंत्रोच्चार कीमोटी परत शिवालय पर चढ़ गई हैमंत्रों के तीव्र स्वर में अभिव्यंजना करते-करतेजिह्वा विराम चाहती है क्योंकि भोलेनाथउस जटिल परत के नीचे...
डॉ. शालिनी नारायणन* 'एक दोपहर स्टेशन की' कहानी का यह अंतिम भाग है। यदि आप इसके पिछले भाग पढ़ना चाहें तो यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं। चाय का कप वहीं छोड़ कर...
सत्येन्द्र प्रकाश* हरसिंगार आज उदास था। बहुत उदास! कचनार के वे दो पेड़ शायद आज कट जाएँगे। ये दो कचनार उसके साथ ही तो लगाए गए थे। साथ साथ पनपे, बढ़े। साथ साथ पल्लवित...
*Onkar Kedia Is this a Short story? Perhaps not! Read on to see.... ‘Do you know, I had no idea about spying. Learnt it the hard way'.

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