खंडहर
नष्ट करो मुझे पूराआधा नष्ट अपमान है निर्माण कामेरा पुनर्निर्माण मत करनामत करना मेरे कंगूरों पर चूना आधे उड़े रंग वाले भित्तिचित्र ध्वस्त करनाले जाने देना चरवाहे को मेरी...
धीरज सिंह*
कुछ है जोमुँह बाये खड़े ह्रास के बीच भीअपने शिल्प की ज़िद सींचता रहता है
कुछ है जोअंत के नंगे सच परहसरतों का कोहरा बुनता रहता है
योगेन्द्र दत्त शर्मा*
कभी जनकवि नज़ीर अकबराबादी ने 'आदमीनामा' लिखा था। उस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लगभग दो सदियों बाद मैंने नये दौर का 'एक और आदमीनामा' तैयार किया है। सो प्रस्तुत...
पारुल बंसल*
क्षणिकाएं
एक -
प्रेम ने सुनी सिसकी कानों से
और आ गया आंखों के रास्ते से!
विद्या भूषण
शब्दो!
सुनो तुम यहाँ-वहाँ
यूँ ही बिखर क्यों जाते हो?
कभी तो बिखरी स्याही की तरह
बेतरतीब से...
गौरी डे *
पेड़ का धर्म
पेड़ एक, जड़ अनेकबढ़ता है पेड़और बढ़ती हैं टहनियाँ भी
बढ़ा हुआ पेड़ छाया देता हैऔर वो...
मंत्रोच्चार
मुझे लगता है मेरे नित्य मंत्रोच्चार कीमोटी परत शिवालय पर चढ़ गई हैमंत्रों के तीव्र स्वर में अभिव्यंजना करते-करतेजिह्वा विराम चाहती है क्योंकि भोलेनाथउस जटिल परत के नीचे...
नन्दिता मिश्र*
आज (29 मार्च) को हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि भवानी प्रसाद मिश्र का जन्मदिवस है। इस अवसर पर हमें उनकी पुत्री नन्दिता मिश्र का एक लेख प्राप्त हुआ...
अजंता देव
हिन्दी कविता जगत की सुपरिचित कवि अजंता देव को पिछले दिनों राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से विशिष्ट साहित्यकार पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस वेब-पत्रिका की ओर से जब...
आईसक्रीम - कुछ क्षणिकाएं
ओंकार केडिया*
हम दोनों ऐसे मिले,जैसे अलग-अलग फ़्लेवर की आइसक्रीम,अब तुम तुम नहीं रही,मैं मैं नहीं रहा,काश कि मिलने से पहलेहमें पता होताकि यह नया फ़्लेवरन तुम्हें...