कर्नल अमरदीप की तीन कवितायें

अमरदीप*

सिर्फ धूप पहनना

सुनो

आज तुम धूप पहनना

सिर्फ धूप

सजा लेना

अपनी माँग में!

मेरे सपनों को

बिखरने देना

किरण बने मेरे स्पर्श को

पूरी देह पर!

उतरने देना आसमान को

अपने आँगन में

और समेट लेना

धड़कनों के साथ

बहते हुए सुरों को

और

मेरी साँस की लय को

आत्मसात कर लेना!

धूप ले कर आएगी

ढेरों खत,

जो लिखे मगर

भेजे नहीं जा सके!

मर्यादाओं की खिड़कियों पर

ठिठके हुए खत,

सिर्फ जिये हुए और

सिर्फ सोचे हुए खत,

उन्हें उकेरने देना अक्षर

वाक्य और अर्थ!

वक्त अगर

कर देता है छाँव,

रोक लेता है

तुम्हारे पाँव,

फिर धारा के साथ अगर

बहने लगती है नाव,

तो घबराना मत!

धूप पर

प्रेम पर

गीत पर

भरोसा मत खोना!

यों भी

परिधान इस से बेहतर

बनते भी कहाँ हैं आजकल!

कभी सिर्फ

मुस्कान भरा रूप पहनना

सुनो आज तुम धूप

सिर्फ धूप पहनना!

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नेह की धूप

ढेरों गीत लगेंगे

लाखों शब्द

हज़ारों उपमाएँ

और

प्रेम और विछोह में

बीते अनगिनत पल

ऐसे कैसे

एक दिन में

लिख दूँ अपना संबंध

तुम्हारा रूप

नेह की धूप।

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एक कमरे वाला घर

एक घर के अंदर

होते हैं कई घर,

हर उस घर के अंदर

होते हैं कई संसार,

हर संसार में

लाखों स्वप्न,

लाखों प्रेम,

लाखों द्वेष,

और होती हैं

हज़ारों संबंधों की

संभावनाएँ!

मीलॉर्ड

एक बैडरूम,

उसी में बने किचन

और स्नानघर वाले घर को

छोटा न समझा जाये

छोटी सिर्फ होती है सोच!

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*भारतीय सेना की अग्रिम पंक्ति में 25 वर्ष की सक्रिय सेवा के बाद 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर देहरादून में रह रहे कर्नल अमरदीप सिंह बहुत कम आयु से ही कविताएँ  लिखने लगे थे। कश्मीर से लेकर सियाचिन और मणिपुर तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की सेना के हिस्से के रूप में उत्तरीअफ्रीका तक में सक्रिय सेवा देने के बावजूद उनकी कविता कहीं  रुकी नहीं और पहले संग्रह “खुद से मुलाकात” (2007, समय प्रकाशन, नईदिल्ली) सहित अब तक उनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। कविता के अलावा विभिन्न अखबारों, पत्रिकाओं में साहित्य एवं सैन्य विषयों पर निरंतर लेख लिखते रहते हैं। आल इंडिया रेडियो , दूरदर्शन तथा निजी टीवी चैनलों पर भी विशेषज्ञ के तौर पर आमंत्रित किए जाते हैं। कर्नल अमरदीप के ब्लॉग : soldierwithapen.blogspot.com, www.soldierspeaks.wordpress.com

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