ओंकार केडिया* की कविताएं आप इस वेब पत्रिका में पहले भी पढ़ चुके हैं। पूर्व में प्रकाशित उनकी अनेक कविताओं में से कुछ आप यहाँ, यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं। उनका कविता संग्रह इन्द्रधनुष भी पाठकों के बीच खासा लोकप्रिय हुआ। हाल ही में उनकी व्यंग्य रचनाओं की पुस्तक ‘मल्टीप्लेक्सस में पॉपकॉर्न’ भी प्रकाशित हुई है जिसके पुस्तकांश आप उपरोक्त लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं। प्रस्तुत हैं उनकी ताज़ा-तरीन रचनाएं।
नरम-दिल पहाड़
पतली घुमावदार पगडंडियाँ
कभी ऊपर, कभी नीचे,
कभी सामने, कभी ओझल,
जैसे कोई नटखट बच्ची
पहाड़ों की ढलान पर
मस्त दौड़ रही हो.
ऊंचे देवदार के पेड़
घाटी से सिर उठाकर
गाड़ी की खिड़की पर बैठी
लड़की को ताक रहे हैं.
साफ़ पानी की पतली धार
थोड़े–थोड़े क़दमों के फ़ासले पर
अपनी परिचित आवाज़ में
व्यस्त–सा सलाम करती
सर्र से निकल जाती है.
न जाने कहाँ से आते हैं
शीतल,पनीले बादल,
उंगलियों से चेहरों को सहलाते,
भीगा–सा आलिंगन देकर
पल–भर में चले जाते हैं.
तुम अजनबी हो तो क्या,
यहाँ तुम्हारा स्वागत है,
यह नरम–दिल पहाड़ है,
कोई मैदानी शहर नहीं है.
***
पहाड़ों पर धुंध
लम्बे–ऊंचे पेड़,
जो कभी पहाड़ों की ढलान पर उगे थे,
हमने काट दिए हैं,
उनके सीने में घुसकर
हमने निकाल लिए हैं
दबे हुए खनिज.
जहाँ पगडंडियाँ नहीं थीं,
वहां हमने बना ली हैं सड़कें,
जहाँ चरवाहे नहीं जाते थे,
वहां हम मनाने लगे हैं पिकनिक.
चिड़ियाँ चहचहाती थीं जहाँ,
वहां अब गूंजते हैं फ़िल्मी गाने,
खो चुके हैं पहाड़ अब
अपना सारा पहाड़पन.
पहाड़ अब नंगे हैं,
क़रीब से देख रही हैं उन्हें
हज़ारों लाखों नज़रें,
मुग्ध हो रही हैं
उनकी सुंदरता पर.
पहाड़ कोशिश में हैं
कि अपना नंगापन छिपा लें,
धुंध उनका पैरहन है.
*******
*ओंकार केडिया पूर्व सिविल सेवा अधिकारी हैं। भारत सरकार में उच्च पदों पर पदासीन रहने के बाद आजकल वह असम रियल एस्टेट एपिलेट ट्राइब्यूनल के सदस्य हैं और गुवाहाटी में रह रहे हैं। वह अपने ब्लॉग http://betterurlife.blogspot.com/औरhttp://onkarkedia.blogspot.com/ पर वर्षों से कवितायें और ब्लॉग लिख रहे हैं। कुछ माह पूर्व इनका कविता संग्रह इंद्रधनुष आया है जो काफी चर्चित हुआ। अंग्रेजी में इनकी कविताओं का पहला संग्रह Daddy भी हाल ही में आया है।
डिस्क्लेमर : इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं और इस वैबसाइट का उनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। यह वैबसाइट लेख में व्यक्त विचारों/सूचनाओं की सच्चाई, तथ्यपरकता और व्यवहारिकता के लिए उत्तरदायी नहीं है।