ओंकार केडिया की नई कविताएं

ओंकार केडिया* इस वेब पत्रिका के लिए बीच-बीच में कविताएं लिखते रहे हैं। यह उनकी कुछ नई कविताएं हैं।

घटना या दुर्घटना ?

सालों बाद मिली हो तुम,

तुम्हारे चेहरे पर झुर्रियाँ हैं,

आँखों के नीचे काले घेरे,

वज़न थोड़ा-सा बढ़ गया है,

चांदी-सी फैल गई है बालों में। 

मैं भी नहीं रहा पहले-सा,

चलता हूँ, तो पाँव लड़खड़ाते हैं,

घुटनों में दर्द रहता है, 

आँखों से कम दिखता है,

बाल तो ग़ायब हो गए हैं।  

कहाँ सोचा था 

कि ऐसे भी मुलाक़ात होगी,

न तुम पहचानोगी मुझे,

न मैं पहचानूँगा तुम्हें।

तुमसे मिलकर अच्छा भी लगा 

और नहीं भी,

तुम्हें भी ऐसा ही लगा होगा,

समझ में नहीं आता 

कि हमारे मिलने को क्या कहूँ,

घटना या दुर्घटना?

********

कुछ संयोग,

कुछ घटनाएं,

कुछ दुर्घटनाएं,

मुमकिन है इनसे बचना,

पर मर जाने के बाद. 

***

हमारे कुछ बनने में 

संयोग उतने ही ज़रूरी हैं,

जितने नहीं बनने में हादसे. 

***

सावधानी ठीक है,

पर इतनी भी नहीं 

कि चलो ही नहीं,

तुम्हीं कहो,

दुर्घटना अच्छी है,

या डरकर बैठ जाना? 

***

उस जगह एक शार्प टर्न था,

मैं तेज़ी से नहीं मुड़ता,

तो तुम पक्का निकल जाती,

फिर मैं कहाँ ढूंढता तुम्हें? 

***

तुमसे मेरा मिलना संयोग था,

बिछड़ना दुर्घटना,

कभी सोचा नहीं था 

कि संयोग और दुर्घटना-

दोनों के परिणाम 

इतने अच्छे निकलेंगे. 

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*ओंकार केडिया पूर्व सिविल सेवा अधिकारी हैं। भारत सरकार में उच्च पदों पर पदासीन रहने के बाद आजकल वह असम रियल एस्टेट एपिलेट ट्राइब्यूनल के सदस्य हैं और गुवाहाटी में रह रहे हैं। वह अपने ब्लॉग http://betterurlife.blogspot.com/औरhttp://onkarkedia.blogspot.com/ पर वर्षों से कवितायें और ब्लॉग लिख रहे हैं। कुछ माह पूर्व इनका कविता संग्रह इंद्रधनुष आया है जो काफी चर्चित हुआ। अंग्रेजी में इनकी कविताओं का पहला संग्रह Daddy भी हाल ही में आया है।  

Image by Manfred Antranias Zimmer from Pixabay

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