शोभना तनेजा के कुछ हाइकु और कवितायें

शोभना तनेजा स्त्री मन की गहन अनुभूतियों और अनुराग की कवियत्री हैं। उनके ‘हायकू’ भी सूक्तियों की तरह अभिभूत करते हैं। ये मन को कहीं गहरे छू लेने वाली, निर्मल और गहन अनुराग की सरल कविताएं हैं जो अपने अर्थों और अभिव्यक्ति में कहीं कहीं तो शब्दों की सीमाएं लांघ जाती हैं।

हाइकु -1

छुपा न ग़म
कर दी बगावत
इन आंखों ने

हाइकु -2

सहेजो इसे
ताकि प्रकृति कल
सहेजे हमें

हाइकु -3

याद है तेरी
ओस की बूंद जैसे
हमेशा ताज़ा

हाइकु -4

कैसा सफर
थके नहीं हैं पैर
थका है दिल

कविताएं

क्षण

इतनी मसरूफ
इस कदर
उलझी हुई- सी
इस ज़िन्दगी की
जद्दोजहद में भी
न जाने कैसे

तुम तो
क्षण को
बटोर कर
सहेज लेते हो
जी लेते हो..
उसे

और मैं
पूरे जीवन को
अपनी मुट्ठी में
बांधने की
कोशिश में

उस क्षण
को भी
गंवा देती हूँ!

वजूद

पास होकर भी
कभी जब
तुम मुझे
दूर… बहुत दूर
लगने लगते हो

तो बेबस
छलक जाते हैं
पलकों से आंसू….

तब
“तुम्हारा वहम है”
कहकर
तुम तो मानो
मुक्त हो जाते हो

और मैं अचंभित सी
सोचा करती हूँ
कि आखिर
अपने वजूद को
मैंने
इतना अवश
इतना परवश
कैसे

और कब

होने दिया !!

परिधि

देह
प्रणय की
परिधि नहीं

प्रेम तो
दिव्य है
मुक्ति हृदय की !!

अपलक

जाड़े की
सर्द अंधेरी रात…

नींद की आगोश में
बेखबर सोई
पूरी कायनात..

जागती आंखों से
टिमटिमाते तारों को
देख रही हूँ
मैं अपलक…

ज़हन में ख्यालों की
कशमकश जारी है…

आंसू गिरने से पहले ही
पलकों के किनारों पर
पथरा गए हैं…

काश…
इस लम्हे में
तुम मेरे पास होते..

या फिर
मैं ही
अपने
मन की

सभी गांठें खोलकर
तुम्हारे पास आ पाती…

और तब शायद

तुमसे हार कर भी
जीत जाती..

काश!!

अस्तित्व

आज फिर
बेचैन कर गया
तुम्हारा वही सवाल..
क्यों इतनी उदास रहती हो?
गुम सुम सी..हर वक़्त
खामोशी की चादर ओढ़े..

और फिर
चल पड़ा
आदतन वो
तुम्हारी नसीहतों ..
शिकायतों का सिलसिला..

पहाड़ी रास्तों सी घुमावदार
तुम्हारी ये बातें..
कब किस मोड़ पर
क्या कहना है
क्या सुनाना है…
तुम अच्छी तरह जानते हो

पर क्या ये जानते हो कि
खामोशी की इस क़ैद से
निकलने के लिए तो..
मुझे शुरू से शुरुआत करनी होगी
अपने बेफिक्र,बिंदास
बचपन को
फिर से जीना होगा
एक नया दिल रोपना होगा
अपने सीने में..

पर क्या तब

अगर कभी
किसी रोज़
मेरी इन उदास आंखों में
तुम्हारी ही कही वो

जुगनुओं सी चमक आ भी गई
और या फिर तुम्हें वो सुने जिसे तुम

मेरी खनकती हंसी कहते थे,
तो पहचान सकोगे क्या मुझे??

शोभना तनेजा ने लेडी श्री राम कौलेज ,दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातक तथा स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से ही अनुवाद का कोर्स किया और उसमें प्रथम स्थान प्राप्त किया। तदुपरांत 34 वर्षों तक भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में राजभाषा अधिकारी के तौर पर कार्यरत रही। आजकल स्वतंत्र लेखन करती हैं।

3 COMMENTS

  1. कोमल और गहन अनुभूति की कविताएं – सीधे सरल शब्द, गहरे अर्थ।

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