वित्तीय घोटालों से सावधान – सतर्क रहें, सुरक्षित रहें

नितिन प्रधान*

अभी पिछले दिनों मैंने मैक्सलाइफ इंश्योरेंस की पॉलिसी का अपना सालाना प्रीमियम भरा। प्रीमियम का भुगतान कंपनी की वेबसाइट पर ऑनलाइन किया गया था। ठीक दो दिन बाद मेरे पास एक कॉल आया जिसमें मुझे मेरी पॉलिसी पर मिलने वाले बेनिफिट्स की जानकारी देते हुए बताया गया कि पॉलिसी के तहत आपको करीब दो लाख रुपये मिलने हैं। उसके लिए मुझसे कुछ जानकारी मांगते हुए प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया। मैं तुरंत समझ गया कि यह इंश्योरेंस फ्रॉड का मामला है क्योंकि मैं जानता हूं कि मेरी किसी पॉलिसी पर ऐसा कोई लाभ मिलने का प्रावधान नहीं है। लेकिन मैं जानना चाहता था कि ये लोग आखिर मुझसे क्या जानना चाहते हैं। और उस प्रक्रिया में मैं यह जानकर हैरान रह गया कि कॉल करने वालों के पास न केवल मेरा सही सही पॉलिसी नंबर था बल्कि वे यह भी जानते थे कि मैंने किस तारीख को कितनी राशि के प्रीमियम का भुगतान किया है। मज़े की बात है कि करीब महीना भर गुज़र जाने के बाद भी मेरे पास उसी पॉलिसी को लेकर आज भी कॉल आ रहे हैं।

मैं यह बात यहां इसलिए कर रहा हूं कि अगर आपने भी अपने जीवन के रिस्क को कवर करने के लिए कोई पॉलिसी ले रखी है तो आपको भी इस तरह की जालसाज़ी में फंसाने की कोशिश हो सकती है। सिर्फ इंश्योरेंस ही नहीं, आजकल वित्तीय फ्रॉड के नए नए तरीकों से लोगों को ठगने की कोशिशें हो रही हैं। बैंक खाता निष्क्रिय होने, क्रेडिट-डेबिट कार्ड ब्लॉक होने, मोबाइल का सिम ब्लॉक होने आदि का डर दिखाने से लेकर आपका फ़र्ज़ी सोशल मीडिया एकाउंट बनाकर आपकी तरफ से आपके जानकारों से पैसे मांगने तक के मामले सामने आ रहे हैं। स्वयं मेरे साथ यह हुआ है कि फेसबुक पर मेरा फ़र्ज़ी एकाउंट बनाकर यह कोशिश हो चुकी है। इसलिए जो लोग अधिक डिजिटल ट्रांजैक्शन करते हैं, क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं या फिर इंश्योरेंस पॉलिसी में ऑनलाइन प्रीमियम का भुगतान करते हैं, उन्हें आजकल बेहद सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है।

इसका यह अर्थ नहीं है कि आप डिजिटल ट्रांजैक्शन से बचना शुरू कर दें और फिर से नगदी पर लौट आयें बल्कि हम केवल आगाह कर रहे हैं कि आपको हमेशा कुछ ग्राउंड-रुल्ज़ का पालन करना है! यहां हम आपको बताएंगे कि कैसे आप छोटी छोटी सावधानियां बरत कर इन जालसाजों के झांसे में आने से बच सकते हैं और अपनी जमापूंजी को सुरक्षित रख सकते हैं।

किन बातों का रखें ध्यान

  • सर्वप्रथम तो अपने बैंक खाते का पासवर्ड, क्रेडिट-डेबिट कार्ड का पिन किसी से भी साझा न करें।
  • ऑनलाइन या डिजिटल पेमेंट करते वक्त सार्वजनिक वाई-फाई के इस्तेमाल से बचें, इसके बजाये अपने मोबाइल डेटा का इस्तेमाल करना ज्यादा सुरक्षित है।
  • बैंक या इंश्योरेंस कंपनियों से आने वाले फोन पर अपने वित्तीय खातों की जानकारी, पिन या पासवर्ड साझा न करें।
  • लॉटरी, इंश्योरेंस पॉलिसी में लाभ ट्रांसफर करने के एवज में आपको भेजे गये ओटीपी की जानकारी फोन करने वाले से साझा न करें। बैंक या इंश्योरेंस कंपनियां आपसे इस तरह की जानकारी कभी नहीं मांगी।
  • अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी के लाभ पता करने के लिए पॉलिसी डाक्यूमेंट को अच्छी तरह पढ़ लें और समझ लें कि आपको कब उसमें वित्तीय लाभ मिलना है या पॉलिसी की अवधि के दौरान आपको कोई लाभ मिलना भी है या नहीं। यदि यह जानकारी आपको पहले से होगी तो कोई आपको धोखा नहीं दे पाएगा।
  • फोन कॉल के ज़रिए पॉलिसी लैप्स होने, बैंक खाता निष्क्रिय होने या क्रेडिट-डेबिट कार्ड ब्लॉक या फिर फोन का सिम ब्लॉक होने की बात सुनकर घबरायें नहीं, ठंडे दिमाग से काम लें और सबसे पहले सम्बद्ध बैंक, इंश्योरेंस कंपनी या मोबाइल कंपनी  से बात करें।
  • बैंक या इंश्योरेंस कंपनियां अपना सभी पत्राचार आपसे ईमेल के द्वारा करती हैं।
  • ई मेल पर आने वाले लॉटरी संदेशों, इनाम मिलने के संदेशों में दिये गये लिंक को कभी क्लिक न करें।
  • अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट, ऑनलाइन बैंक खाते का पासवर्ड, क्रेडिट-डेबिट कार्ड के पिन, समय समय पर बदलते रहें।

इन सभी सावधानियों को अपनाएंगे और थोड़ा सतर्क रहेंगे तो कभी किसी फ्रॉड का शिकार नहीं होंगे। ज़रूरी इतना है कि आपको अपनी सभी वित्तीय जानकारियों को खुद तक सुरक्षित रखना है। फोन कॉल पर मिलने वाली किसी भी सूचना के बाद आपको घबराहट में ऐसा कोई कदम नहीं उठाना है जिससे बाद में पछताना पड़े।

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*दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख रहे नितिन प्रधान बीते 30 वर्ष से मीडिया और कम्यूनिकेशन इंडस्ट्री में हैं। आर्थिक पत्रकारिता का लंबा अनुभव।

डिस्क्लेमर : इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं और इस वैबसाइट का उनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। यह वैबसाइट लेख में व्यक्त विचारों/सूचनाओं की सच्चाई, तथ्यपरकता और व्यवहारिकता के लिए उत्तरदायी नहीं है।

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