सालाना रिटर्न दाखिल करने के बाद भी मिल रहे हैं आयकर विभाग के नोटिस? क्या चूक हो रही है आपसे?

आइए जानें, इनकम टैक्स नोटिस से बचने के लिए किन बातों का रखें ध्यान

नितिन प्रधान*

आप हर साल बिना चूके आयकर रिटर्न भरते हैं, अपना पूरा टैक्स अदा करते हैं। बावजूद इसके कई बार ऐसा मौका आता है जब आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल जाता है। उसकी कई वजह हो सकती हैं। लेकिन इसकी एक वजह आपकी तरफ से किये गये ऊंची कीमत वाले कुछ लेन-देन भी हो सकते हैं जिन्हें लेकर आपका ध्यान ही न गया हो। आपकी मंशा भले ही गलत न रही हो लेकिन इस तरह के ट्रांजैक्शंस अक्सर आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी हाई वैल्यू ट्रांजैक्शंस के बारे में बताएंगे जिनका इस्तेमाल अगर आप नहीं करें तो आपको बेवजह इनकम टैक्स के नोटिसों से परेशान नहीं होना पड़ेगा।

यह तो अब स्पष्ट है कि आयकर विभाग की ई-मॉनिटरिंग व्यवस्था अब पूरी तरह चौकस है। विभाग तमाम स्रोतों और माध्यमों के जरिए आपके वित्तीय लेन-देन पर निगाह रखता है। ऐसे में यह जरूरी है कि ट्रांजैक्शन के औपचारिक माध्यमों के जरिए आप कितना लेन-देन करें कि जो आयकर विभाग के नियमों के तहत आता हो। आइए हम आपको ऊंची कीमत वाले ऐसे कुछ लेन-देन के बारे में बताते हैं जो आपको आयकर विभाग की जांच के दायरे में ला सकते हैं और आपको ऐसा करने पर विभाग की तरफ से नोटिस मिल सकता है।

  • सबसे पहले तो आप यह जान लें कि आप साल भर में 10 लाख रुपये या इससे अधिक की राशि बैंक के अपने खाते में नकद जमा नहीं कर सकते। सभी सरकारी और निजी कमर्शियल बैंक और सहकारी बैंक इस तरह के लेन-देन को रिपोर्ट करते हैं। बैंकों को यह निर्देश है कि इस तरह के लेन-देन की रिपोर्टिंग एक व्यवस्था के तहत आयकर विभाग को करें।
  • अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नकदी में करते हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक लाख रुपये से अधिक का भुगतान एक बार में नकद न करें। इतना ही नहीं यदि आप पूरे साल साल में नकद/ट्रांसफर/चेक के जरिए 10 लाख रुपये या इससे अधिक के क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करते हैं तो भी आप आयकर विभाग की पूछताछ के दायरे में आ जाएंगे। विभाग आपके बैंकिंग लेन-देन के जरिए इस बात की भी निगरानी रखता है।
  •  आपकी तरफ से विदेशी मुद्रा को खरीदने-बेचने को लेकर हुए सौदों और शेयर, म्यूचुअल फंड और डिबेंचरों में होने वाला निवेश भी आयकर विभाग की निगरानी में रहता है। अगर आप किसी भी माध्यम के जरिए 10 लाख रुपये या इससे अधिक की राशि व्यय करते हैं तो इनकम टैक्स विभाग आपसे पूछताछ कर सकता है। इस तरह के सभी सौदे या लेन-देन आयकर विभाग को रिपोर्ट किये जाते हैं।
  • आपके द्वारा किये जाने वाली अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त की निगरानी भी आयकर विभाग करता है। प्रत्येक सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से 30 लाख रुपये या इससे अधिक की संपत्ति के खरीदने-बेचने का ब्यौरा आयकर विभाग को रिपोर्ट किया जाता है। इतना ही नहीं एक साल के भीतर 10 लाख रुपये या इससे अधिक की सावधि जमा भी आयकर विभाग को रिपोर्ट की जाती है। ऐसे में यदि आप इस तरह के लेन-देन करते हैं तो आपको सालाना रिटर्न दाखिल करते वक्त इसका पूरा ब्यौरा देना चाहिए। अन्यथा इनकम टैक्स विभाग की रुटीन पड़ताल में इस जानकारी के उजागर होने पर आप दिक्कत में आ सकते हैं और आपको नोटिस भेजा जा सकता है।

टैक्स एक्सपर्ट का मानना है कि इस तरह के नोटिसों से बचने का एकमात्र और सबसे श्रेष्ठ उपाय यही है कि आप अगर साल भर में ऐसा कोई भी लेन-देन या सौदा करते हैं तो उसकी पूरी व स्पष्ट जानकारी अपनी टैक्स रिटर्न में अवश्य दें। चूंकि पहले आपके द्वारा इस तरह के लेन-देन की जानकारी आयकर विभाग के पास नहीं होती थी तो आप निश्चिंत रहते थे। लेकिन अब ये सारी जानकारियां विभाग के पास सिस्टम के जरिए रहती हैं। ऐसे में किसी भी समय औचक निरीक्षण के वक्त आयकर विभाग आपके द्वारा होने वाले ट्रांजैक्शंस को लेकर आपसे सवाल कर सकता है, यदि उसका उल्लेख आपके रिटर्न में नहीं है। इससे आपके लिए मुश्किलें भी खड़ी हो सकती हैं।

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*दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख रहे नितिन प्रधान बीते 30 वर्ष से मीडिया और कम्यूनिकेशन इंडस्ट्री में हैं। आर्थिक पत्रकारिता का लंबा अनुभव।

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