धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

आज की बात

आज प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के टोंक शहर में एक रैली को संबोधित करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि वह देश के किसी भी कोने में रह रहे कश्मीरी की हिफाजत करें। पुलवामा में हुई  भयानक आतंकवादी घटना के बाद देश के कई भागों से कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें आ रही थीं और यह मांग की जा रही थी कि प्रधानमंत्री को इस विषय में अवश्य कुछ अपील करनी चाहिए अन्यथा ऐसा ना हो कि तनावपूर्ण माहौल कहीं हिंसक माहौल में बदल जाए। हमने भी इस वैबसाइट पर एक आलेख में कहा था कि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने की अपील किसी यदि प्रभावशाली व्यक्ति की तरफ से आएगी तभी बात बनेगी।

अपने विशिष्ट अंदाज़ में मोदी ने कहा, “पिछले दिनों कहाँ क्या हुआ, घटना छोटी थी कि बड़ी थी, कश्मीरी बच्चों के साथ हिंदुस्तान के किसी कोने में क्या हुआ क्या नहीं हुआ, मुद्दा ये नहीं है। इस देश में ऐसा होना नहीं चाहिए”! संभवत: मोदी किसी स्थान विशेष का नाम लेकर किसी राज्य सरकार को झेंपाना नहीं चाहते थे क्योंकि देहरादून में हुई घटनाओं के संबंध में उत्तराखंड सरकार ने एक  तरह का खंडन ही जारी कर दिया था। सचमुच अपने खास अंदाज़ में कही गई प्रधानमंत्री ये बातें नफरत और गुस्से की आग पर काबू पा लेंगी, ऐसी उम्मीद करनी चाहिए। हमें प्रधानमंत्री जी का इसके लिए धन्यवाद करना चाहिए।

  

यहाँ यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि कल ही उच्चतम न्यायालय ने देश भर के राज्यों के प्रमुख सचिवों और पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया था कि वह कश्मीरियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की अप्रिय घटनाओं को ना होने दें।

हालांकि यह कहना सही नहीं होगा कि मोदी ने उच्चतम न्यायालय का रुख देखते हुए यह ब्यान दिया होगा। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि पहले भी ऐसे मौके आते रहे हैं कि प्रधानमंत्री होने के नाते उनसे ये उम्मीद की जाती थी कि वह आगे आ कर हिंसा रोकने की अपील करें, तो उन्हें कुछ समय लग ही जाता था।

चाहे वह दलितों के विरुद्ध हिंसा रोकने की अपील हो या गौरक्षकों को कानून के दायरे में रहने की सलाह – प्रधानमंत्री ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने की कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाते। इसलिए हम कहेंगे कि यह संयोग ही है कि उच्चतम न्यायालय का यह निर्देश तभी आया जब ये सब होते कुछ दिन बीत चुके थे और उनके अब तक के रेकॉर्ड को देखकर यह कहा जा सकता है कि अब प्रधानमंत्री जी की अपील करने का समय भी आ गया था।

कहना होगा कि प्रधानमंत्री जी ने यह अपील अपने पुरज़ोर अंदाज़ में की! उन्होने रेखांकित किया कि कश्मीरी युवक भी आतंकवाद से परेशान हैं और उससे निजात पाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “हिंदुस्तान के किसी भी कोने में मेरा कश्मीर का लाल हो, उसकी हिफाज़त करना मेरे हिंदुस्तान के हर नागरिक का काम है”।

स्मरणीय है कि देश के विभिन्न भागों में कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों के खिलाफ हिंसा के खिलाफ आज ही श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक जुलूस निकाला और मांग की कि प्रधानमंत्री इस विषय पर अपनी चुप्पी तोड़ें।

इस तरह कुल मिलाकर प्रधानमंत्री की यह अपील कश्मीरियों को बहुत राहत देगी जिनके बच्चे और रिश्तेदार पढ़ने या रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर रह रहे हैं।

……विद्या भूषण अरोरा

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