……या फिर हम इंसान नहीं

बिना किसी पूर्व-चेतावनी के हुए लॉक-डाउन ने देश के बड़े शहरों में रह रहे दिहाड़ी मज़दूरों को जिस तरह अचानक बेघर कर दिया और उन्हें जिन हालातों में पैदल ही सैंकड़ों मील चलकर अपने घरों को लौटना पड़ा, उससे मध्यमवर्ग के कुछ संवेदनशील लोगों को एक किस्म के अपराध-भाव से भर दिया। स्वाभाविक है कि कुछ लोगों ने उसे कलम-बद्ध भी किया। पूनम जैन ने इन लोगों की दुर्दशा से व्यथित होकर एक कविता लिखी जो हम पाठकों को के समक्ष रख रहे हैं। इस कविता के साथ लिया गया चित्र व्हाट्सएप्प पर प्राप्त हुआ था। इसी चित्र में बनाने वाले बच्चे का विवरण लिखा है।

पूनम जैन*

हमारी ज़िंदगियों का अहम हिस्सा होते हुए भी

तुम खबरों में तो पहले कहीं ना होते थे…..

आज क्यों हर ख़बर में छाए हुए हो…
हमेशा से सुनते आए हैं कि
बुरे समय में एक इंसान दूसरे इंसान के काम आता है
या तो तुम इंसान नहीं या फिर हम इंसान नहीं!

चाहे तुम खुद झोपड़ों में रहे या सड़कों पर
तुम्हारे बिना बनते महल और मकान नहीं

चाहे तुम ख़ुद भूखे रहे या आधा पेट खाए
तुम्हारे बिना उगते अन्न और धान नहीं
या तो तुम इंसान नहीं या फिर हम इंसान नहीं!

तुम्हारे हिस्से कभी नहीं आए पूरे कपड़े लेकिन
फिर भी बिना तुम्हारे बनते नए परिधान नहीं

श्रम की कद्र ना की जो कहते हम तुम्हें दिहाड़ी मज़दूर हैं
पर बिना तुम्हारे चलते उद्योग, व्यवसाय और दुकान नहीं
या तो तुम इंसान नहीं या फिर हम इंसान नहीं!

तुमने तो हमेशा ही हमें बाबूजी और दीदी-दीदी कहा
क्यों मिलता तुमको तुम्हारे हिस्से का सम्मान नहीं

तुम भर-भर झोली देते हो जिनको वोट और दुआएँ
क्यों वो नेता करते तुम्हारे मुद्दों का समाधान नहीं
या तो तुम इंसान नहीं या फिर हम इंसान नहीं!

जब सारे सहारे छूट गए और सारे भरोसे टूट गए
तब तुम्हारी घर वापसी की राह भी आसान नहीं
और तुमने नंगे पाँव ही नाप दिया सारा हिन्दुस्तान यहीं

हैराँ हूँ कि ये बेबसी तुम्हारी करती क्यों किसी को परेशान नहीं
या तो तुम इंसान नहीं या फिर हम इंसान नहीं!

*पूनम जैन एक संवेदनशील गृहिणी हैं और अपने आस-पास के समाज से सरोकार रखती हैं। कभी कभी कवितायें भी लिखती हैं। वह उत्तरी दिल्ली में रहती हैं।





5 COMMENTS

  1. सच में इस भयावह परिस्थिति में अपने इंसान होने पर ही कुछ शक सा होने लगा है…… दिल दहलाने वाली है समाज की, सरकारों की और हम सब की यह संवेदनहीनता….और अमानवता।

  2. Heart touching poem u r my childhood friend but I didn’t knew ur this talent was hidden where luv u dear ???❤️

  3. OMG … Didi… You’ve used the correct BOLD LINES … “YA TO TUM INSAAN NAHI YA HUM INSAAN NAHI”….. !

    People write but blame the system, governance and society but you’ve taken yourself as the direct guilty which is most touching and practical feeling or I should say confession made by you for all the SUPER HUMANS.

    Didi only a CLEAR and INNOCENT heart inside can bring out such sentiments and me as your younger one always feel proud for having so NOBLE elders gifted in my LIFE.

    SHAT SHAT NAMAN… !

  4. i know you are a very talented woman and have skills of multitasking abilities, but this one… poetry ?… really…..hatsoff ….its really superb…..????

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