ओंकार केडिया*
उन्होंने कहा,
मरने के लिए तैयार रहो,
सारा इंतज़ाम है हमारे पास-
गोली, चाकू, डंडा, फंदा,
तुम ख़ुशकिस्मत हो,
बता सकते हो
कि तुम्हें कैसे मरना है.
चाहो तो नहा-धो लो,
रामायण-गीता भी पढ़ लो,
नए कपड़े पहन लो,
मनचाहा भोजन कर लो,
ऐसा मौक़ा कितनों को मिलता है?
वादा रहा तुमसे
कि विधि-विधान से कराएँगे
तुम्हारा अंतिम संस्कार,
चलो,अब उठो,
कोई ना-नुकर मत करो,
मरना तो तुम्हें पड़ेगा ही.
मैं कृतज्ञ था उनके प्रति,
तैयार था मरने के लिए,
आसान हो जाता है मरना,
जब मारनेवाले इतने उदार हों.
***
*Onkar Kedia has been a career Civil Servant who retired from the Central Government Service recently. He has been writing poems in Hindi and English on his blogs http://betterurlife.blogspot.com/ and http://onkarkedia.blogspot.com/
आपकी लिखी रचना “सांध्य दैनिक मुखरित मौन में” आज शनिवार 18 जुलाई 2020 को साझा की गई है…. “सांध्य दैनिक मुखरित मौन में” पर आप भी आइएगा….धन्यवाद!
बेहतरीन रचना