मनचाही मृत्यु

ओंकार केडिया*

उन्होंने कहा,

मरने के लिए तैयार रहो,

सारा इंतज़ाम है हमारे पास-

गोली, चाकू, डंडा, फंदा,

तुम ख़ुशकिस्मत हो,

बता सकते हो

कि तुम्हें कैसे मरना है.

चाहो तो नहा-धो लो,

रामायण-गीता भी पढ़ लो,

नए कपड़े पहन लो,

मनचाहा भोजन कर लो,

ऐसा मौक़ा कितनों को मिलता है?

वादा रहा तुमसे

कि विधि-विधान से कराएँगे

तुम्हारा अंतिम संस्कार,

चलो,अब उठो,

कोई ना-नुकर मत करो,

मरना तो तुम्हें पड़ेगा ही.

मैं कृतज्ञ था उनके प्रति,

तैयार था मरने के लिए,

आसान हो जाता है मरना,

जब मारनेवाले इतने उदार हों.

***

*Onkar Kedia has been a career Civil Servant who retired from the Central Government Service recently. He has been writing poems in Hindi and English on his blogs http://betterurlife.blogspot.com/ and http://onkarkedia.blogspot.com/

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