मास्क

ओंकार केडिया*

मास्क – 1

तुम्हारे मुँह और नाक पर

मास्क लगा है,

पर तुम बोल सकते हो,

बोलना मत छोड़ो,

जब तक कि तुम्हें

पूरी तरह चुप न करा दिया जाय.

**

मास्क – 2

बहुत भोले हैं हम,

कहते हैं, मास्क के चलते  

लोग पहचाने नहीं जा रहे,

जैसे कि बिना मास्क के

पहचाने जा रहे थे.

**

मास्क – 3

मास्क लगाया ही है,

तो पूरी तरह लगाओ,

जब खुल के छिपा रहे हो,

तो आधा-अधूरा क्या छिपाना?

**

मास्क – 4

सभी घूम रहे हैं मास्क लगाकर,

सभी एक से लगते हैं,

वैसे भी क्या फ़र्क है

आदमी और आदमी में?

*****

*ओंकार केडिया सिविल सेवा अधिकारी थे और भारत सरकार में उच्च पदों पर पदासीन रहे हैं। वह अपने ब्लॉग http://betterurlife.blogspot.com/और http://onkarkedia.blogspot.com/ वर्षों से कवितायें और ब्लॉग लिख रहे हैं।

4 COMMENTS

  1. वाह!क्या बात है । बहुत खूब !
    बिना मास्क के भी कहाँ पहचाने जाते .
    अरे ,ये मास्क को लगा है ,मुखौटों पर ।

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