भाजपा की जीत के कारण

अखबारों से

‘अखबारों से’ स्तम्भ को नियमित रूप से लिखने का इरादा था लेकिन सब बात वहीं आ कर रुक जाती है कि फिलहाल अकेले सब कुछ करना है – अपना लेखन भी, दूसरों के लेखन पर चर्चा भी और वैबसाइट पर यदि कहीं से लेख आ जाएँ तो अन्य लेखों का संयोजन भी। इसके अलावा अपने निजी जीवन की जिम्मेवारियाँ तो सभी को पूर्ण करनी ही होती हैं। ऐसे में चाह कर भी ये स्तम्भ नियमित नहीं हो सका।

बहरहाल, कल के चुनाव-परिणामों पर बहुत से लेख आए हैं जिनमें से एक पर हम यहाँ चर्चा कर रहे हैं क्योंकि एक तो वह काफी सिलसिलेवार ढंग से कारणों का विश्लेषण करता है, दूसरे वह मिंट अखबार से है जो आर्थिक विषयों का अंग्रेज़ी अखबार होने के कारण बहुत सुलभ नहीं है और इसके ये हिस्सा (मिंट-प्राइमर) जल्दी से ऑनलाइन भी नहीं आता।

धीरेंद्र त्रिपाठी ने अपने इस आलेख में दस कारण गिनाए हैं जिनमें से पहला है नरेंद्र मोदी द्वारा ‘कल्ट’ का निर्माण – Cult का हिन्दी पर्याय मुझे नहीं मालूम लेकिन अपन सब इस शब्द से परिचित हैं – मोदी ने एक ऐसे वातावरण का निर्माण किया जिसमें लोगों को लगा कि वह एक उद्धारक की भूमिका में हैं। मोदी इसमें सफल हुए कि उन्होंने लोगों में भी आत्मविश्वास पैदा किया और लोगों ने उन पर भी पूरा विश्वास किया। लोगों को ये भरोसा हो गया कि मोदी उनके लिए लगातार काम करते हैं – चाहे वो बाहरी खतरे के खिलाफ काम हो जैसे पाकिस्तान के खिलाफ और या फिर आंतरिक खतरों के खिलाफ जैसे नक्सलवादियों के विरुद्ध कार्यवाही।

मोदी की जीत का दूसरा कारण है जाति को राष्ट्रीयता के रंग में रंग देना – पुलवामा में केंद्रीय पुलिस बल पर हमले के बाद मोदी का ये कहना कि “घर में घुस कर मारेंगे” और फिर बालकोट में आतंकियों के कैंप पर हमला करने जैसी बातों ने उन्हें लोगों का प्रिय बना दिया।

मोदी को भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने वाले मसीहा के तौर पर भी देखा गया। नोटबंदी से हुई तकलीफ़ों को लोगों ने भुला दिया और जनता ने उस कदम को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के एक प्रयास के रूप में देखा। विजय मल्लाया और नीरव मोदी चाहे देश छोडकर भाग गए लेकिन सरकार द्वारा उन्हें वापिस लाने के प्रयासों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने के निश्चय के तौर पर देखा।

इस लेख में मोदी की जीत के चौथे कारण के रूप में युवा-वर्ग से मोदी के कनैक्ट को बताया गया है। आज भारत की आधे से ज़्यादा जनसंख्या 25 वर्ष से कम है और 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम – 2020 तक एक औसत भारतीय की आयु होगी 29 वर्ष। मोदी ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ार्म के जरिये युवाओं से एक जीवंत रिश्ता बनाया और युवाओं के मोदी में एक ऐसा नेता दिखा जो भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकता है।

पांचवे कारण के रूप में लेख बताता है कि मोदी सरकार द्वारा लागू की गई सोशल सैक्टर की योजनाओं ने भी उनकी जीत में अच्छा रोल निभाया है। स्वच्छ भारत से लेकर आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना सहित किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम दिलाने का ज़िक्र लेख में है।

मोदी की जीत का छटा कारण बताया गया है भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को जिन्होंने करीब एक लाख साथ हज़ार किलोमीटर की यात्रा अपने चुनाव अभियान के दौरान की और ये व्यवस्था की कि सही जगह पर सही लोग नियुक्त होने चाहिए।

मोदी के जीत के कारणों में कांग्रेस का वंशवाद भी एक कारण के तौर पर देखा गया क्योंकि लोगों को लगा कि ये ऊंचे कुल से आने वाले राहुल गांधी और बाद में प्रियंका गांधी भी, एक साधारण परिवार से आए मोदी की खिलाफत कर रहे हैं। लेखक के अनुसार प्रियंका की राजनीति में एंट्री को तो शायद लोगों ने उसके द्वारा अपने पति रोबर्ट वाड्रा को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाने की कोशिश के तौर पर देखा।

लेख में ‘हिन्दू प्राइड’ को भी मोदी के पक्ष में काम करने वाला एक कारक बताया है। हिंदुओं को पहली बार लगा कि कोई प्रधानमंत्री खुलकर उनके हितों के लिए काम कर रहा है।

भाजपा द्वारा पूर्वी भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों में पैठ बनाने को भी मोदी की जीत का कारण बताया गया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ज़बरदस्त चुनौती का सामना करते हुए 18 सीटों का जीतना बहुत महत्वपूर्ण है। ओड़ीशा में भी भाजपा ने नवीन पटनायक के दबदबे के बावजूद अच्छी पैठ बना ली जिसका परिणाम उसे प्रदेश की 21 में से 8 सीटों पर विजय के रूप में मिला।

लेख में जीत का अंतिम कारण एक कमजोर विपक्ष का होना बताया है। लेख में कहा गया है कि जैसे किसी भी सरकार के कार्यकाल में गलतियाँ होती हैं, वैसी ही मोदी सरकार के कार्यकाल में भी हुईं किन्तु विपक्ष उनका फायदा नहीं उठा सका। उदाहरण के लिए नोटबंदी, बढ़ती बेरोजगारी, जीएसटी को जल्दबाज़ी में लागू करना, आयकर विभाग के छापों से परेशान व्यापारी आदि बहुत से मुद्दे थे जिनका लाभ विपक्ष नहीं उठा सका।

उपरोक्त लेख के अलावा यदि आप चाहें तो शेखर गुप्ता का लेख (बिज़नेस स्टैंडर्ड में) पढ़ सकते हैं जो भाजपा की जीत के या यूं कहें कि विपक्ष की हार के कारणों का अच्छा विश्लेषण करता है। इसी अखबार में आकार पटेल ने भी अपने लेख में मोदी की जीत का कारण विपक्ष की विफलता ही बताया है। फिर फ़र्स्टपोस्ट(डॉट)कॉम पर पार्थ एम एन का लेख भी अच्छा है। इस लेख में मोदी की जीत का एक बड़ा श्रेय उनकी और उनकी पार्टी की प्रचार-प्रसार की बहुत अच्छी क्षमता को भी दिया गया है क्योंकि लेखक के अनुसार जन-कल्याण की योजनाएँ अस्तित्व में हैं, इस बात को बहुत सफलतापूर्वक जनता तक पहुंचाया गया। लेख में ध्यान दिलाया गया है कि मोदी जी अपने भाषणों में “हमने ऐसा किया” की बजाय हमेशा “मैंने किया” का प्रयोग करते रहे हैं और इसका लाभ उन्हें चुनाव मे मिला।

विद्या भूषण अरोरा

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