दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं (लेकिन केवल व्हाट्सएप्प पर नहीं)

मधुकर पवार*

दीपावली मुबारक हो आप सभी को! इस अवसर पर हमारी हार्दिक शुभकामनाएं! दीपावली का त्यौहार खूब उमंग और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। होली, दशहरा, दीपावली, ईद और क्रिसमस के साथ राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस व स्वाधीनता दिवस पर देश का माहौल ही कुछ अलग रहता है। वैसे तो हमारा समाज उत्सवधर्मी कहा जाता है और यहाँ साल भर कोई ना कोई त्यौहार और उत्सव होते ही रहते हैं तथा इन सभी अवसरों पर बधाई और शुभकामनाएं देने का सिलसिला भी अनवरत जारी रहता है। आप भी व्यस्त होंगे आज व्हाट्सएप्प पर और धड़ाधड़ या तो शुभकामना संदेशों के उत्तर दे रहे होंगे या अपनी ओर से भेज रहे होंगे।

कुछ दशक पहले विशेषकर दीपावली, दशहरा, होली, नववर्ष, ईद, क्रिसमस आदि पर्वों के मौके पर द्वारा डाक बधाई शुभकामनाएं संदेश भेजें जाते थे। जब पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र या प्रिंटेड शुभकामनाएं पत्र प्राप्त होते थे तो हमें बेहद खुशी होती थी। कुछ मित्र तो शुभकामना संदेश प्रकाशित अपने नाम से छपवा कर भिजवाते थे। ऐसे पत्रों को लंबे समय तक सहेजकर रखने का भी अलग आनंद था। जब कभी कोई शुभकामना पत्र हाथ में आ जाता तो एक अलग ही अहसास होता था क्योंकि उन दिनों मोबाईल तो दूर की बात है, लैंड्लाइन फोन की सुविधा भी दुर्लभ थी, इसलिए इन शुभ कामनाओं वाले पत्रों का विशेष महत्व था।

दूरसंचार सेवाओं में जब निजी क्षेत्र की भागीदारी शुरू हुई तब से उपभोक्ताओं को टेलीफोन की सुविधा सुलभ होने लगी। पीसीओ एसटीडी ने तो दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी धमाकेदार शुरुआत की थी। सन 1996 से 1998 तक पेजर ने भी खूब धूम मचाई। हालांकि पेजर से केवल संदेश ही भेजे जा सकते थे लेकिन जिनके पास पेजर होता था उनकी शान ही अलग होती थी। पेजर के पहले मोबाइल की शुरुआत 31 जुलाई 1995 को हो चुकी थी। मोबाइल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु के बीच बातचीत हुई थी। शुरुआत में मोबाइल पर इनकमिंग का 8 रूपये और आउटगोइंग के लिए 16 रूपये प्रति मिनट का भुगतान करना होता था। अत्यधिक महंगी कॉल दर होने के कारण 5 साल में यानी सन 2000 तक देश में मोबाइल के उपभोक्ताओं की संख्या मात्र 10 लाख तक ही पहुंच सकी थी। बाद में सन 2003 में इनकमिंग सेवा निशुल्क हो गई। जब एंड्राइड मोबाइल की उपस्थिति दर्ज हुई और सोशल मीडिया के सबसे लोकप्रिय माध्यम व्हाट्सएप की शुरुआत हुई तो संचार और संवाद के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं की भी संख्या बढ़ गई और शासकीय दूरसंचार के सेवा प्रदाता भारत संचार निगम लिमिटेड का एकाधिकार समाप्त हो गया।

सन 2009 में 3G और सन 2012 में 4G तकनीक ने तो संचार के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर दी। जैसे-जैसे इंटरनेट की तीव्र गति मोबाइल पर मिलने लगी, उपभोक्ताओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई। पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि के उपभोक्ताओं की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि हुई। आम आदमी की पहुंच में आने के कारण इसका सबसे ज्यादा असर यह हुआ कि परिवार में जितने सदस्य हैं, उतने ही मोबाइल और सिम की संख्या भी कम से कम डेढ़ गुना तक हो गई।

संचार क्रांति का एक उजला पक्ष तो यह है कि संचार और संवाद बहुत आसान और सस्ता हो गया है जिसके कारण व्यक्ति हमेशा ऑनलाइन दिखाई देता है। लेकिन इसका स्याह पक्ष यह भी है कि अधिकांश मोबाइल उपभोक्ता 24 घंटे में औसतन तीन-चार घंटे मोबाइल में सोशल मीडिया पर व्यतीत करता है। इसका एक सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह भी देखने में आ रहा है कि मोबाइल धारक बात करने के स्थान पर लिखकर संदेश भेजने में यकीन करने लगे हैं। आपस में संवाद कम हो रहा है। कोई महत्वपूर्ण सूचना भी लिखकर प्रेषित करने लगे हैं। प्राय: सभी उपभोक्ता अनेकों समूह से जुड़े होने के कारण ऐसी महत्वपूर्ण सूचना अथवा संदेश नहीं देख पाते हैं जिसके कारण कई बार शर्मिंदगी तक उठानी पड़ जाती है।

यह लिखने का उद्देश्य केवल इतना ही है कि संचार संचार सुविधाओं से अनेक काम आसान हो गए हैं लेकिन व्यक्ति हजारों आभासी मित्रों की भीड़ में भी अकेला रह गया है। जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर बड़ी संख्या में लिखे हुए बधाई संदेश और शुभकामनाएं रंग-बिरंगे फूलों और आकर्षक उपहार के साथ मोबाईल पर ही मिल जाते हैं लेकिन “बधाई हो” ये दो शब्द कान सुनने को तरस जाते हैं। हद तो तब हो जाती है जब घर के ही सदस्य एक छत के नीचे रहते हुये भी जन्मदिन, त्यौहार आदि की बधाई मोबाएल पर ही संदेश भेजकर दे देते हैं। यह भी देखने में आ रहा है कि मोबाइल में अधिक समय व्यतीत करने के कारण संवाद का समय कम हो रहा है। घर में तीन-चार सदस्य हैं और उनके पास मोबाइल है तो निश्चित ही वे मोबाइल में संदेश पढ़ने और प्रेषित करने में व्यस्त होंगे। उनमें संवाद या तो बहुत कम होगा या बिल्कुल ही नहीं। यहां तक कि भोजन करते और सोते समय भी मोबाइल हाथ में ही रहता है। इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी मोबाइल पर भी पढ़ने और देखने को मिलते रहती है लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। अब तो सबसे बड़ी चिंता यह सताने लगी है कि मोबाइल के नशे में पूरा समाज ही गिरफ्त में आ गया है। इसके कारण नशा मुक्ति केंद्रों की तर्ज पर मोबाइल पुनर्वास केंद्र खोलने की नौबत आ गई है।

संवाद ही अनेक समस्याओं के निराकरण का एकमात्र उपाय है। इसलिए मोबाइल का इतना उपयोग मत करिये कि संवादहीनता की स्थिति पैदा हो जाये। कुछ अवसरों पर सोशल मीडिया के जरिए संदेश भेजना समय की मांग भी है और मजबूरी भी लेकिन शुभ अवसरों पर व्यक्तिगत बात करने के फायदे अलग हैं। आजकल यह आम हो गया है कि विवाह अथवा अन्य समारोहों के कार्ड भी व्हाट्सएप पर भेज दिए जाते हैं। लेकिन केवल यदि संदेश अथवा आमंत्रण भेज कर ही इतिश्री समझ लें तो निश्चित ही आपने जिसे आमंत्रण / संदेश भेजा है वह भी इसे केवल औपचारिकता ही समझेगा इसलिए व्यक्तिगत बात कर लें तो यह संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने में मददगार हो सकता है।

 इस दीपावली में बेशक आप अपने व्हाट्सएप समूहों और फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि के आभासी मित्रों को बधाई और शुभकामनाएं जरूर दें लेकिन अपने करीबी मित्रों, नाते रिश्तेदारों और पड़ोसियों से यदि व्यक्तिगत रूप से मिलने में असमर्थ है तो कम से कम मोबाइल पर बात कर उन्हें शुभकामनाएं जरूर दें। बात करने से संवादहीनता समाप्त होती है, आत्मीयता बढ़ती है और परस्पर चर्चा तथा विचारों के आदान-प्रदान से संबंधों में और प्रगाढ़ता आती है जबकि संदेश / आमंत्रण पत्र भेजने से केवल बेजान संवाद ही हो पाता है।

एक प्रयोग यह भी करें :- काम होने अथवा विशेष अवसरों पर इष्ट – मित्रों, नाते – रिश्तेदारों से बात तो करते ही हैं, कभी-कभी बिना किसी काम के भी बात करने की आदत बना लें। जिनसे बात कर रहे हैं उनके स्वास्थ्य, घर परिवार, खेती-बाड़ी, व्यवसाय आदि के बारे में जरूर पूछें। ऐसा करने से संबंधित व्यक्ति की आपके बारे में यह धारणा बनेगी कि फलां व्यक्ति आपका शुभचिंतक है। जब कभी भी आपको किसी भी तरह की मदद की जरूरत होगी तो वे लोग आपकी मदद करने के लिए जरूर आगे आएंगे। वर्तमान समय में यह धारणा बन गई है कि बिना काम अथवा मतलब के कोई भी बात नहीं करता है। बिना किसी काम के यदा-कदा बात करते रहने से संबंधों में नई ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति को ऊर्जामय बनाये रखने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

बहरहाल, फिलहाल तो आप को एक बार फिर दीपावली के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं। उम्मीद है कि आप भी कम से कम आस-पड़ोस में तो व्यक्तिगत तौर पर जाकर अपने इष्ट मित्रों को दीपावली की शुभ कामनाएं देंगे और कुछ अन्य मित्रों को जो दूर रहते हैं, उनसे फोन पर बात कर लेंगे।

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*मधुकर पवार वर्तमान में भोपाल में निवासरत हैं. मार्च 2021 में केंद्रीय संचार ब्यूरो. सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, इंदौर से सेवानिवृत्त होने के बाद इन दिनों स्वतंत्र लेखन के साथ राष्ट्रीय कृषि अखबार “कृषक जगत” में नियमित रूप से कृषि, जल संरक्षण, ग्रामीण विकास आदि विषयों पर लेखन कर रहे हैं. सम्पर्क 9425071942 और 8770218785.

डिस्क्लेमर : इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं और इस वैबसाइट का उनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। यह वैबसाइट लेख में व्यक्त विचारों/सूचनाओं की सच्चाई, तथ्यपरकता और व्यवहारिकता के लिए उत्तरदायी नहीं है।

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