लिस्टिंग के बाद शेयरों में निवेश – संदर्भ ज़ोमैटो

अपने जोखिम को आंकिए, परिस्थितियों को समझें, फिर करें निवेश

नितिन प्रधान*

निवेश के बाज़ार में पिछले कई दिनों से सिर्फ एक नाम की चर्चा है। फूड डिलीवरी एप आधारित प्लेटफार्म ज़ोमैटो के आइपीओ की! कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो चुके हैं और अपने आइपीओ प्राइस के मुकाबले 53 फीसद की बढ़त के साथ लिस्ट हुए हैं। ज़ोमैटो के आइपीओ ने शेयर बाज़ार में नई हवा भर दी है। आइपीओ के बाज़ार में नई हलचल है। ऊंचे दाम पर हुई लिस्टिंग ने न केवल उन निवेशकों की झोली भर दी है जो लिस्टिंग पर मुनाफा कमाने की आस से आइपीओ में पैसा लगाते हैं, बल्कि कहीं न कहीं निवेशकों में शेयर बाज़ार में आने वाली नई कंपनियों के शेयरों में चाहत भी पैदा कर दी है। अब बाज़ार में चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि क्या लिस्टिंग के बाद मौजूदा कीमत पर ज़ोमैटो के शेयरों में निवेश करना सही फैसला होगा?

ज़ोमैटो के आइपीओ का आकार करीब 9375 करोड़ रुपये का था। यानी उसका लक्ष्य प्राइमरी बाज़ार से आइपीओ के ज़रिए इतना धन जुटाने का था। लेकिन ज़ोमैटो के शेयर खरीदने के लिए निवेशकों की तरफ से कुल मिलाकर 38 फीसद अधिक आवेदन मिले। यानी शेयर बाज़ार की भाषा में आइपीओ 38 फीसद ओवरसबस्क्राइब हुआ। नतीजा यह हुआ कि आइपीओ में मिला 76 रुपये का ज़ोमैटो का शेयर स्टॉक एक्सचेंज में 116 रुपये पर लिस्ट हुआ। इससे पहले ही दिन ज़ोमैटो का मार्केट कैपिटलाइजेशन यानी बाज़ार पूंजीकरण एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया।

किसी भी आइपीओ के लिए यह बड़ी सफलता मानी जाती है। यही वो वजहें भी हैं जिनके चलते निवेशक लिस्टिंग के बाद भी कंपनी के शेयर में निवेश करने को उत्सुक रहते हैं। लेकिन यहां सवाल यही है कि क्या ऊंचे दाम पर लिस्ट होने वाली कंपनी के शेयर में लिस्टिंग के तुरंत बाद ऊंचे दामों पर ही निवेश करना उचित है? जानकारों की इस बारे में अलग अलग राय हैं। ज़ोमैटो के बारे में भी इस संबंध में अलग अलग राय-सुझाव आ रहे हैं। आइए इस संबंध में बात करने से पहले कंपनी के कुछ तथ्यों पर बात कर लेते हैं। देश में तीसरी पीढ़ी की इन कंपनियों जिन्हें स्टार्टअप्स कहा जाता है, में निवेश की संभावनाएं इधर काफी बड़ी हैं। पेटीएम ऐसी कंपनियों में सफलता का मानक मानी जाती है। यह भी जल्दी ही पूंजी बाज़ार में अपने आइपीओ के साथ उतरने की तैयारी में है। इन्हीं कंपनियों में ज़ोमैटो भी शामिल है जो फूड डिलीवरी एप बिजनेस में है।

कंपनी को पिछले काफी समय से लगातार निवेशकों का समर्थन मिल रहा है। कंपनी में कई स्रोतों से फंडिंग हो रही है। जानकारों के मुताबिक कंपनी में अंतिम दौर की प्राइवेट इनवेस्टर फंडिंग में 60 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ है। उस वक्त कंपनी की वैल्यूएशन के हिसाब से इसके एक शेयर का दाम 45 रुपये से कुछ कम पर तय हुआ था। जबकि जब कंपनी ने आइपीओ के जरिए अपने शेयर बाज़ार में बिक्री करने के लिए उतारे तो एक शेयर का दाम 76 रुपये निकल कर आया। इस लिहाज से देखें तो कंपनी का शेयर अपने अंतिम दौर की फंडिंग के बाद कंपनी में मौजूद आइपीओ से पहले के निवेशकों को प्रति शेयर 60 फीसद का रिटर्न वैसे ही मिल गया है। इसके बावजूद जिन लोगों ने आइपीओ के ज़रिए इस कंपनी में निवेश किया उन्हें भी पहले ही दिन लिस्टिंग पर करीब 53 फीसद का मुनाफा मिला। यानी अंतिम दौर की प्राइवेट इनवेस्टर फंडिंग के बाद लिस्टिंग वाले दिन तक कंपनी के शेयर की कीमत में 110 फीसद से अधिक का मुनाफा हो चुका है। ऐसे में निवेशकों के मन में यह सवाल आना वाजिब होना चाहिए कि क्या 125-126 रुपये की मौजूदा शेयर कीमत पर इस कंपनी के शेयर में निवेश उचित लाभ देने की स्थिति में होगा?

कुछ जानकार आज की तारीख में ज़ोमैटो के शेयर को ‘ओवरप्राइस्ड’ मान रहे हैं। यानी उनका मानना है कि कंपनी के शेयर की कीमत अपनी वाजिब कीमत से ऊपर है। ऐसे विशेषज्ञों का मानना है कि आम निवेशकों को ज़ोमैटो के शेयर की कीमत के अपनी वाजिब कीमत के आसपास ठहर जाने तक इंतजार करना चाहिए। चूंकि अभी बाज़ार में ज़ोमैटो की हवा है इसलिए बड़े-बड़े निवेशक इसमें मुनाफा कमाने के लिए बाज़ार में उतरे हैं। ऐसे में छोटे और आम निवेशकों के हाथ न जल जाएं, इसके लिए उन्हें कुछ ठहरने की सलाह दी जाती है क्योंकि आने वाले कुछ दिनों में इस कंपनी के शेयर में तेज़ उतार-चढ़ाव रह सकता है।

दूसरी तरफ यह तय है कि कंपनी का प्रदर्शन काफी अच्छा है। ऐसा मानने वाले जानकारों की राय में अगर कोई बड़ा जोखिम नहीं आता और इन कंपनियों के लिए कोई अहम नीतिगत बदलाव नहीं होता तो कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रहने की संभावना है। ऐसे में जो निवेशक आइपीओ के जरिए कंपनी के शेयरधारक बने हैं उन्हें भी कुछ दिन मुनाफा कमाने की बजाय इंतजार करना चाहिए।

बाज़ार में निवेश का मूल मंत्र धैर्य है। यदि आप धैर्य के साथ सभी परिस्थितियों का आकलन करने के बाद निवेश करते हैं तो आपके जोखिम काफी हद तक कम हो जाते हैं। आमतौर पर लिस्टिंग के बाद कंपनियों के शेयरों में तेज हलचल होती है। इसलिए ऐसे निवेशकों को धीरज के साथ कंपनी के प्रदर्शन पर निगाह रखते हुए उसके सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही निवेश का निर्णय करना चाहिए। अक्सर जल्दबाजी में लिये गये फैसले गलत हो जाते हैं जिनकी वजह से आपको बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

*दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख रहे नितिन प्रधान बीते 30 वर्ष से मीडिया और कम्यूनिकेशन इंडस्ट्री में हैं। आर्थिक पत्रकारिता का लंबा अनुभव।

डिस्क्लेमर : इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं और इस वैबसाइट का उनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। यह वैबसाइट लेख में व्यक्त विचारों/सूचनाओं की सच्चाई, तथ्यपरकता और व्यवहारिकता के लिए उत्तरदायी नहीं है।

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