नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी एक सीमा से आगे उनके फैसलों में दखल देने की स्थिति में नहीं होता था। मुख्यमंत्री के रूप में उनके राजधर्म न निभाने पर भी सवाल पार्टी के भीतर ही उठा और सबसे उच्च स्तर से उठा, लेकिन मोदी प्रदेश की राजनीति से तब तक टस से मस नहीं हुए, जब तक उन्होंने खुद यह फैसला नहीं किया। बाद में राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मामले में भी कमोबेश यही स्थिति देखी गई। …तो क्या मोदी और वसुंधरा की उस कड़ी में भाजपा के भीतर तीसरा नाम योगी आदित्यनाथ का जुड़ गया है? राजनैतिक प्रेक्षकों का मानना है कि योगी ने पार्टी के भीतर एक ऐसी लाइन खींच दी है, जिसको क्रास करना पार्टी के बाकी नेताओं के लिए आसान नहीं है। राजकेश्वर सिंह की यह टिप्पणी पढ़िये।
राजकेश्वर सिंह*
कोरोना की दूसरी लहर ढलते ही देश की राजनीतिक सरगर्मियां फिर से लौटने लगी हैं। उस लिहाज़ से देखें तो कांग्रेस शासित पंजाब, राजस्थान और अब हरियाणा में भी राजनीतिक उठा-पटक की हलचल ज़्यादा है। महाराष्ट्र भी कुछ अलग तरह की गहमागहमी से गुजर रहा है। भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल जैसी कोई बात खुलकर सामने तो नहीं है, लेकिन बीते जून महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर लगभग दो हफ्ते तक मीडिया में जो कहानियां चलीं, उससे यह तो साफ हो गया कि पार्टी और सरकार के भीतर सब कुछ वैसा ही नहीं चल रहा है, जैसा ऊपर से दिख रहा है।
कई दिनों तक चले तरह-तरह के कयासों के यह मामला तब शांत हुआ, जब यह खबरें सुर्खियां बनीं कि अगले साल प्रदेश में होने वाले चुनाव मे योगी न सिर्फ पार्टी का चेहरा होंगे, बल्कि मौजूदा विधायकों को फिर से पार्टी का टिकट दिलाने या नए लोगों को टिकट देने में उनकी राय प्रमुख होगी। बस उसके बाद से ही एक नए सवाल ने जन्म ले लिया है कि आखिर योगी में क्या है, जो हर फैसले में उत्तर प्रदेश भाजपा के नए-पुराने बड़े सभी नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं। बीते लगभग साढ़े चार साल में कई बार तरह-तरह के किन्तु-परंतु के बाद भी योगी ने हमेशा यह साबित किया है कि वह उसी राह पर चल रहे हैं, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा की राजनीति का मूल गुर है। लिहाज़ा उनके काम के तौर-तरीकों पर किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए। योगी भले ऐसा समझते हों, लेकिन यह बात सही है कि राजनीति में हमेशा दो दूनी चार ही नहीं होता है।
वैसे तो देश के अधिकतर राज्यों में भाजपा की ही सरकार है, लेकिन उसके चर्चित मुख्यमंत्रियों में योगी आदित्यनाथ का नाम फिलहाल सबसे ऊपर है। प्रदेश में अपने सरकारी कामकाज के अलावा उनकी हिंदुत्व की ‘हार्डलाइन’ उन्हें भाजपा के भीतर दूसरे तमाम नेताओं से अलग करती है। भाजपा भी उनको देश भर में हिंदुत्व के ‘ब्रांड-एम्बेसडर’ मुख्यमंत्री के रूप में घुमाती है। चुनावों में तो उनकी मांग खासकर बढ़ जाती है। संभव है कि इस तरह की मांग के मामले में मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) के बाद उन्हीं का नंबर हो। योगी की इस मांग में उछाल भी उनके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही आया है।
यहाँ यह भी याद दिलाया जा सकता है कि योगी न तो मूल रूप से भाजपाई रहे हैं और न ही उसकी मातृसंस्था (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-आरएसएस) से जुड़े रहे हैं। वह गोरखपुर की गोरक्षापीठ के पीठाधीश्वर हैं और अपने संगठन हिंदू युवा वाहिनी को चलाते हुए भाजपा से कई बार सांसद रह चुके हैं। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका कद ऐसा बढ़ा कि कुछ बहुत वरिष्ठ लोगों को छोड़ दें तो वह भाजपा के कई पुराने नेताओं से भी बड़े कद के नेता हो गए।
अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में योगी ने अपने कामकाज और भाजपा के भीतर हिंदुत्व का एजेंडा चलाने वालों के बीच खुद की एक बड़ी और अलग लकीर खींच दी है। यह एक सच्चाई है कि राजनीति में योगी का कद अकस्मात काफी बढ़ जाने से प्रदेश के कई भाजपा नेता उनसे काफी पीछे छूट गए हैं। योगी के इस उभार से पहले जो नेता प्रदेश में पार्टी का चेहरा हुआ करते थे और आने वाले दिनों में पार्टी में खुद को और ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना पाले थे, वे भी अब शोर भले न करें लेकिन योगी के बढ़ते कद से असहज तो हैं ही। इस बीच उत्तर प्रदेश के कई पुराने भाजपा नेता राज्यपाल की भूमिका पाकर खुद को संतुष्ट कर चुके हैं और जो बचे हैं, उन्होंने बदली परिस्थितियों में हालात से समझौता कर लिया है। मुख्यमंत्री से असहज ऐसे नेताओं नें कभी खुलकर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन परोक्ष रूप से उनकी भावनाओं का प्रकटन होता रहता है और राजनीतिक पंडित समय-समय पर उसके निहितार्थ निकालते रहते हैं।
उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए योगी ने साढ़े चार साल में आखिर ऐसा क्या कर दिया कि पार्टी को उनके हर फैसले में पीछे खड़ा ही होना पड़ता है? वह भी तब, जब इस अवधि में योगी द्वारा जनप्रतिनिधियों व पार्टी नेताओं से ज़्यादा तवज्जो नौकरशाही को देने जैसे सवाल बार-बार उठते रहे हैं। यह बात भी सार्वजनिक है कि खुद भाजपा के ही ढेर सारे विधायक विधानसभा के भीतर अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं। बीते वर्षों में सरकार के तौर-तरीकों को लेकर भाजपा के कई विधायकों के ऑडियो भी वायरल हो चुके हैं। कोरोना काल में सरकारी व्यवस्था चौपट होने और अफसरों की लापरवाही, बेअंदाजी को लेकर योगी सरकार के कुछ मंत्रियों, भाजपा विधायकों-सांसदों की ओर से लिखे गए पत्र किसी से छिपे नहीं हैं।
इस सबके बावजूद भी भाजपा योगी के चेहरे पर ही देश के सबसे बड़े सूबे में दांव लगा रही है तो यह एक बड़ा प्रयोग है। पार्टी ने अब सभी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया है और बीते जून महीने में योगी सरकार और संगठन के बीच उठा-पटक को लेकर हुए घटनाक्रम के बाद उसने अपना फैसला योगी के पक्ष में सुना दिया है। पार्टी के बड़े नेताओं की तरफ से सभी को उनके साथ ही खड़े होने का संदेश देना पड़ा। हों। केंद्रीय नेतृत्व के संदेश का असर दिखने भी लगा है। अगले साल विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में योगी ही पार्टी का चेहरा होंगे, केंद्र से यह संदेश मिलने के बाद पार्टी और सरकार में योगी से अघोषित नाराज़गी को लेकर जिन नेताओं के नाम चर्चा में रहे हैं, वे अब उनकी अगुवाई में ही अपनी भविष्य की राजनीति देख रहे हैं।
दरअसल किसी भी राजनीतिक दल में यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं होता और जहां तक योगी की बात है तो उनके मामले में ऐसा हो जाना अपने आप में खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि जैसा कि हमने ऊपर कहा, वह तो न तो मूल रूप से भाजपा के रहे हैं और न संघ के लेकिन फिर भी पार्टी में उनकी राजनीतिक हैसियत एक अलग पहचान बना चुकी है।
याद कीजिए, नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी एक सीमा से आगे उनके फैसलों में दखल देने की स्थिति में नहीं होता था। मुख्यमंत्री एक रूप में उनके राजधर्म न निभाने पर भी सवाल पार्टी के भीतर ही उठा, लेकिन मोदी प्रदेश की राजनीति से तब तक टस से मस नहीं हुए, जब तक उन्होंने खुद यह फैसला नहीं किया। बाद में राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मामले में भी कमोबेश यही स्थिति देखी गई। डेढ़-दो दशक से वहां प्रदेश भाजपा में वही होता रहा है, जैसा वसुंधरा ने चाहा है। मौजूदा समय में भी वसुंधरा राजे प्रदेश के भाजपा नेताओं पर भारी हैं और वहां प्रदेश नेतृत्व से अब भी चल रहा टकराव किसी से छिपा नहीं है।…तो क्या मोदी और वसुंधरा की उस कड़ी में भाजपा के भीतर तीसरा नाम योगी आदित्यनाथ का जुड़ गया है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी ने पार्टी के भीतर एक ऐसी लाइन खींच दी है, जिसको क्रास करना पार्टी के बाकी नेताओं के लिए आसान नहीं है। योगी के पास हिंदुत्व को जो तमगा है, वह तो उस समय मोदी के पास भी उस रूप में नहीं था और वसुंधरा के पास तो खैर वह किसी भी समय नहीं था। एक और बात यह भी है कि मुख्यमंत्री के रूप में योगी के साढ़े चार साल के कार्यकाल में खुद के भ्रष्टाचार को लेकर उनका दामन दागदार नहीं है, जबकि उनके कुछ फैसले ऐसे रहे हैं, जिनसे उनके कट्टर हिंदू की छवि ही झलकती है। उनके ऐसे फैसले भाजपा के एजेंडे को ही आगे बढ़ाते हैं।
राजनीति में कब और क्या हो जाए, यह अक्सर पहले से किसी को नहीं पता होता। कुछ बड़े व अहम फैसले अकस्मात पैदा हुई परिस्थितियां भी करा देती हैं। योगी भी मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसी ही परिस्थितियों की देन हैं और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे में अगले साल चुनाव को लेकर भाजपा उन पर दांव लगा रही है। भाजपा की इस रणनीति के बड़े निहितार्थ क्या होंगे, यह तो भविष्य की राजनीति ही बता सकती है।
*राजकेश्वर सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व सूचना आयुक्त एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।
डिस्क्लेमर : इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं और इस वैबसाइट का उनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। यह वैबसाइट लेख में व्यक्त विचारों/सूचनाओं की सच्चाई, तथ्यपरकता और व्यवहारिकता के लिए उत्तरदायी नहीं है।
social signals
vzsggqiyv sgbii sxyetsc twtx wjzpgcouezgvxep
… [Trackback]
[…] Here you will find 49517 more Information to that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] Find More Info here to that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
Loose leaf wraps have grown in popularity among tobacco lovers who want a genuine, personalized smoking experience. Unlike pre-rolled cigarettes, looseleaf wraps enable users the ability to roll their own masterpieces by hand, adding a unique touch to every smoke.
loose leaf wraps
loose leaf
looseleaf
loose leafs
looseleaf wraps
loose leafs wraps
loose leaf blunt
loose leaf blunt wraps
loose leaf blunts
loose leaf woods
looseleafs
where to buy loose leaf wraps
loose leaf wraps near me
loose leaf rolling paper
loose leaf wraps wholesale
loose leaf backwoods
loose leaf russian cream
leaf wraps
loose leaf flavors
loose leaf backwood
strawberry loose leaf
loose leafs near me
loose leaf wrap
loose leaf ice cold
loose leaf honey bourbon
loose leaf reserve
loose leaf banana dream
loose leaf strawberry dream
loose leaf minis
loose leaf tobacco
loose leaf mini
loose leaf cigars
loose leaf box
ice cold loose leaf
loose leaf near me
loose leaf wraps for sale
loose leaf iced cold
loose leaf strawberry
loose leaf cigar
loose leaf blunt wraps near me
looseleaf wraps near me
looseleaf wholesale
loose leaf price
russian cream loose leaf
desto dubb loose leaf
looseleaf minis
smokelooseleaf
loose leaves
loose leaf natural dark leaf
lose leafs
lose leaf
watermelon loose leaf
red rum loose leaf
leaf wrap
rolling leaf
loose leaf banana
honey bourbon loose leaf
box of loose leafs
looseleaf strawberry dream
banana dream loose leaf
banana loose leaf
looseleaf blunt wraps
looseleafs wraps
loose leaf desto dubb
loose leaf tobacco wrap
loose leaf tobacco near me
loose leaf ice
loose leaf woods near me
strawberry dream loose leaf
loose leaf packs
reserve loose leaf
loose leaf tobacco wraps
loose leaf wood
loose leaf iced cold wraps
watermelon dream loose leaf
looseleaf flavors
loose leaf watermelon
rolling leafs
loose leaf pack
loose leaf paper wraps
loose leaf watermelon dream
loose leafs flavors
loose leaf wraps box
loose leaf wraps flavors
looseleaf mini
loose leaf cigars near me
loose leaves woods
strawberry loose leaf wraps
loose leaf strawberry dream near me
loose leaf wholesale tobacco
backwoods loose leaf
desto dubb woods
looseleaf ice cold
ice loose leaf
desto dubb loose leaf near me
trippie redd loose leaf wraps
loose leaf reserve black edition
new loose leaf
loose leaf wraps ice cold
loose wraps
loose leafs wraps near me
loose leaf backwoods near me
ice cold looseleaf
… [Trackback]
[…] Read More here to that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] Info on that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] Info to that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] Here you can find 78047 additional Information on that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] There you can find 74272 additional Information on that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] There you can find 560 additional Info on that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] Read More on on that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] Information on that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]
… [Trackback]
[…] There you will find 54135 additional Info to that Topic: raagdelhi.com/मोदी-की-राह-पर-योगी/ […]