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अहसास दोस्ती का और एहसान रिश्तेदारी का – दोस्ती और रिश्तेदारी...

सुधीरेन्द्र शर्मा* रिश्तेदारी का उद्गम कैसे और कब हुआ इस पर विचार करने से अच्छा तो यह है कि...

उर्वशी के बहाने – दिनकर का उनकी पचासवीं पुण्य-तिथि पर स्मरण

राजेन्द्र भट्ट* ‘जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध’ - रामधारी सिंह दिनकर की यह कालजयी चेतावनी...

काल की चपेट – दार्शनिक सिद्धांतों की व्याख्या-शृंखला का छठा लेख

डॉ मधु कपूर* काल का व्यक्तित्व बहु आयामी है। हमारी हर क्रिया में काल...

क्या गुल खिलाएगी मतदाताओं की खामोशी !

राजकेश्वर सिंह* लोकसभा चुनाव के पहले चरण में हुआ फीका मतदान कुछ ज्यादा चौकाने वाला नहीं है। यह आशंका...

कहानी पन्नालाल की – बच्चों की समझदार कहानियाँ- 2

राजेन्द्र भट्ट* राजेन्द्र भट्ट नए-नए साहित्यिक प्रयोग करते रहते हैं। उनकी प्रयोगशाला हमारी वेबपत्रिका...

नास्ति की खुन्नस

विभिन्न दार्शनिक सिद्धांतों से परिचित होने के लिए पिछले कुछ सप्ताह में डॉ...

मूली लौट आई – बच्चों की समझदार कहानियाँ-1

राजेन्द्र भट्ट* बच्चों के दिलों-दिमागों में बहुत बड़प्पन और समझदारी होती है। दरअसल ‘सेनाइल’ यानी खड़ूस होना कोई पेजमार्क नहीं है कि साठ...

आइए बदलाव को बिना डरे गले लगाएं – फिल्मी गीतों से...

सुधीरेन्द्र शर्मा* दोहराना तो हमारे जीवन का जैसे मूल मंत्र है। सुबह से शाम तक सब कुछ दोहराया जाता...

जारी है शब्दों की यात्रा – डॉ सुरेश पंत की पुस्तक...

डॉ मधु कपूर* द्वारा पुस्तक समीक्षा प्रमुख भाषाविद एवं भाषा विज्ञानी डॉ सुरेश पंत की पिछले वर्ष...