कागद कारे

कागद कारे

आईसक्रीम - कुछ क्षणिकाएं ओंकार केडिया* हम दोनों ऐसे मिले,जैसे अलग-अलग फ़्लेवर की आइसक्रीम,अब तुम तुम नहीं रही,मैं मैं नहीं रहा,काश कि मिलने से पहलेहमें पता होताकि यह नया फ़्लेवरन तुम्हें...
मनोहर चमोली ‘मनु’ हिन्दी या यूं कहें कि हिन्दुस्तानी भाषा के सार्थक उपयोग की सरल, उपयोगी, व्यावहारिक और आसानी से उपलब्ध पुस्तकें प्रायः बहुत ही कम है। हाल ही में जाने-माने भाषाविद डॉ॰...
अजंता देव हिन्दी कविता जगत की सुपरिचित कवि अजंता देव को पिछले दिनों राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से विशिष्ट साहित्यकार पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस वेब-पत्रिका की ओर से जब...
राजेंद्र भट्ट 'कागद कारे' कैटेगरी में पुस्तक-समीक्षाएं पहले भी प्रकाशित होती रही हैं और सामान्य अर्थ में राजेन्द्र भट्ट का यह लेख पुस्तक-समीक्षा ही है लेकिन चूंकि समीक्षा आम तौर पर नई प्रकाशित...
नन्दिता मिश्र* आज (29 मार्च) को हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि भवानी प्रसाद मिश्र का जन्मदिवस है। इस अवसर पर हमें उनकी पुत्री नन्दिता मिश्र का एक लेख प्राप्त हुआ...
मंत्रोच्चार मुझे लगता है मेरे नित्य मंत्रोच्चार कीमोटी परत शिवालय पर चढ़ गई हैमंत्रों के तीव्र स्वर में अभिव्यंजना करते-करतेजिह्वा विराम चाहती है क्योंकि भोलेनाथउस जटिल परत के नीचे...
शुभम मिश्र* जिन्होंने पहले भी कई उर्दू पुस्तकों का अनुवाद किया है, हाल ही में दिल्ली पर राजेंद्र लाल हांडा द्वारा जनवरी 1951 में प्रकाशित उर्दू पुस्तक “दिल्ली जो एक शहर था” का अनुवाद किया है। इसी...
पुस्तक-परिचय : गिरीश कर्नाड की आत्मकथा 'यह जीवन खेल में' राजेंद्र भट्ट* ‘यह जीवन खेल में’ हार्पर कॉलिन्स से प्रकाशित गिरीश कर्नाड की आत्मकथा के अंग्रेजी संस्करण ‘दिस लाइफ...
गौरी डे * पेड़ का धर्म पेड़ एक, जड़ अनेकबढ़ता है पेड़और बढ़ती हैं टहनियाँ भी बढ़ा हुआ पेड़ छाया देता हैऔर वो...
विद्या भूषण शब्दो! सुनो तुम यहाँ-वहाँ यूँ ही बिखर क्यों जाते हो? कभी तो बिखरी स्याही की तरह बेतरतीब से...

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