सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी* यह लेख विशेष आग्रह के साथ मंगाया गया है कि हमारे अध्यात्म के कॉलम में धर्म और राजनीति के प्रश्न पर दक्षिणपंथी मत भी आ सके। हालांकि लेखक ने वर्णाश्रम...
–*इन्दु मेहरा ‘‘बारूद के इक ढेर पर बैठी है ये दुनिया.........’’ ध्यान नहीं किस कवि की ये पंक्तियाँ हैं जो आज मानस पटल पर बार-बार उभर आती हैं। दो दिन पहले कश्मीर में हुई अमानवीय दर्दनाक दुर्घटना यूं...
--इन्दु मेहरा  हमें क्यों लगने लगा है कि हमें सब जानकारी है? क्यों हमारा ज्ञान इतना सीमित हो गया है कि हमें किसी की सुनने की आवश्यकता ही नहीं रही? आज हम...

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