दूरबीन

विपुल मयंक*

असलम का दोस्त था इरफ़ान। पकिया। दोनों क्लास दस में थे – एक ही स्कूल में! असलम की कोठी के बग़ल में थी इरफ़ान की कोठी। दोनों कोठियों के बड़े अहाते थे। असलम ने अपना कमरा कोठी की छत पे बनवा लिया तो इरफ़ान ने भी वही किया। मज़ेदार बात ये कि दोनों कोठियों की ‘बौंडरी-वाल’ एक जगह से टूटी हुई थी। दोनों दोस्त एक दूसरे के घर, चुपके से, सबकी नज़र बचा के एंट्री मारते, बाहर की सीढ़ी से छत पे पहुँच जाते। छत कभी असलम की तो कभी इरफ़ान की। ऐश दोनों की!

जब तक इरफान की अम्मी ज़िंदा थीं, तब तक कौन किसके घर खा रहा है इसकी किसी को परवाह नहीं थी। लेकिन इरफ़ान की अम्मी डेढ़ साल पहले डेड कर गयीं तो छ्ह महीने पहले इरफ़ान के अब्बू, सलीम साब ने ज़ोहरा बेगम से निकाह कर लिया।

इरफ़ान को नई अम्मी के साथ मिली नयी बहन – रज्जो! तीखी नाक, बड़ी आँख वाली रज्जो तेरह बरस की रही होगी। रज्जो को देखते ही असलम की जुड़वा बहन गुड्डी बोली – रज्जो चोट्टी है, चुगलखोट्टी है। असलम, गुड्डी के सर पे टीप देते हुए बोला – और गुड्डी तुम जलन-खोट्टी!

लेकिन गुड्डी की बात सही निकली. एक दिन रज्जो, रात को खाने के बाद सलीम साब के सामने बोली असलम भूखकहड है. हर दूसरे दिन यहीं खाता है। और कभी पन्द्रह रोटी से कम नहीं ठूँसता है. उसके लिए रोटी बेलते बेलते अम्मी का हाथ पिरा जाता है। अगले दिन सलीम साब ने फ़रमान जारी किया – अबसे दोनों लड़के अपने अपने घरों में खाना खाएँगे।

असलम और इरफ़ान ने मिलकर बड़ी मिहनत से प्लेइंग कार्ड्ज़ का कलेक्शन बनाया था। कुछ ख़रीदा, कुछ इंटर्नेट पे ट्रेड कर के जुटाया उनके कलेक्शन में कमाल के डेक्स थे. उनका कलेक्शन नायाब था। एक रात खाने के बाद रज्जो ने ऐलान किया – इरफ़ान जुवेडी – तशेडी है। सबूत के लिए रज्जो ने दिखाया इरफ़ान के ट्रंक में पड़े ताश की गड्डियों का कलेक्शन. ज़ोहरा बेगम चीखीं – तास का घर नास! बेगम ने उसी वक्त, छत पे जलायी आग और एक के कर कलेक्शन के सारे सारे के पैक्स जला दिए. रज्जो को इतने में भी शांति नहीं मिली, वो बोली – सिर्फ़ जलाने से क्या होगा? ये फ़ोन पे इंटर्नेट चलाएँगे और नया कलेक्शन बना लेंगे। सलीम साब ने उसी वक्त इरफ़ान से उसका फ़ोन छीन लिया। रज्जो खुश!

कलेक्शन के बोनफ़ायर की खबर से असलम बौखला गया। साला इरफ़ान कलेक्शन भी नही बचा पाया? मन किया इरफ़ान को पकड़ के धो दे। लेकिन जब इरफ़ान का चेहरा देखा तो चुप रह ग़या।

उसके बाद आए दिन रज्जो चुग़ली करती और इरफ़ान अपने अब्बू से पिटाता। फिर इरफ़ान असलम के घर आता। असलम की अम्मी खाना पकातीं, असलम और गुड्डी के साथ इरफ़ान को खिलातीं। इरफ़ान सारा ग़म भूल जाता।

इसी बीच, असलम के मामू, दुबई से आए और असलम के लिए लाए दूरबीन। असलम ने अपने गया के वाइट हाउस कंपाउंड से दूरबीन लगा के देखा तो लगा ब्र्ह्म्योनी पहाड़ बगले में है। जेल सुपरिटेंडेंट का घर तो आइसा लगे की साला हाथ बढ़ा के बाग़ान से झिंगरी उखाड़ ले। इरफ़ान आया दूरबीन देखा और दोनों दूरबीन में डूब गए।

रज्जो और जल गयी। उस रात रज्जो बोली – शैतानी की जड़ है असलम। सलीम साब ने इरफ़ान की असलम से दोस्ती पे लगा दिया – बैन।

पर ज़ोहरा बेगम को घूमने, ख़ास कर ‘सलिमा’ (सिनेमा) देखने का भारी शौक़ था। अच्छी – बुरी, नयी – पुरानी, ज़ोहरा बेगम रज्जो के साथ सब पिक्चर देखतीं। शाम को सलीम साब भी अपने साईकिल की दुकान से फ़ारिग होके ज़ोहरा और रज्जो के साथ हो लेते और खा पी के देर से लौटते। इसलिए बैन के बावजूद इरफ़ान और असलम की दोस्ती बनी रही।

एक दिन स्कूल के बाद इरफ़ान असलम के घर नहीं आया. असलम ने दूरबीन लगाया. देखा – इरफ़ान अपने कमरे में बैठ के कुछ लिख रहा है। असलम सोचा – इरफनवा का लिख रहा है? असलम ने ध्यान से देखा और चौंक के बोला – अर्रे बाप, उँगली काट लिया है साला, आएँ, उँगली दबा के खून निकाल रहा है, पेंसिल खून में डुबा डुबा के लिख रहा है। साला खून से का लिख रहा है? लभ लेटर है का? किसको लिख रहा है साला? फिर खुद को तसल्ली देते हुए असलम सोचा – लिखने दो! बतैबे करेगा! जाएगा कहाँ?

इरफ़ान आया! लेकिन उसने ख़त के बारे असलम को कुछ नहीं बताया. असलम सोचा – छिपा लो! देखते हैं – साला कितना दिन छिपाएगा?

अगले दिन स्कूल के बाद इरफ़ान फिर असलम के घर नहीं आया. असलम ने दूरबीन लगाया. देखा – असलम कहीं जा रहा है! असलम ने खुद से पूछा – कहाँ जा रहा है बे? आएँ, साले का हाथ में कुछ है!  लेटर है का? हाँ – लेटरे है! असलम ने देखा, इरफ़ान ने किसी को लेटर दिया। पर किसको? लेटर लेने वाली की शकल पेड़ से छिपी हुई थी। कि लड़की ने एक कदम आगे बढ़ाया और असलम को जैसे हार्ट अटेक हो गया – लड़की थी गुड्डी!

असलम के दोस्त ने, उसकी बहन को दिया खून से लिखा ख़त! उसके साथ ऐसा ग़द्दारी? असलम का दिमाग़ आउट हो गया! क्या करे? असलम लगा सोचने – और उसको ख्याल आया, गुड्डी इरफ़ान के इस घटिया हरकत के बारे बतैबे करेगी! तब वो देगा इरफनवा का खाए पिए भर। बताने दो गुड़िवा को!

पर गुड्डी ने, असलम से, लेटर का कोई ज़िक्र नहीं किया। असलम का पारा और गरम। असलम लगा सोचने गुड़िवा बताई काहे नहीं?

इधर असलम के घर मच गया – बवाल!

सलीम साब ज़ोहरा बेगम के साथ असलम के घर आए और असलम के अब्बा से बोले – ज़ाकिर तुम्हारी बेटी गुड्डी, हमरे इरफान को दी लभ लेटेर. असलम के अब्बा, प्रिन्सिपल ज़ाकिर को जैसे लकवा मार गया. तो असलम की अम्मी बोलीं – नामुमकिन!

चमक के रज्जो बोली – हम अपना ‘आइज़’ से देखे हैं।

ग़ुस्सा पीते हुए प्रिन्सिपल बोले – गुड्डी को बुलाइए!

गुड्डी मानपुर गयी थी। अपनी खाला के घर। प्रिन्सिपल साब बोले – असलम गुड्डी को ले के आइए! और मैटर गुड्डी के आने तक टल गया।

खाला के घर से निकलते ही, ग़ुस्से से फ़नफनाए असलम ने गुड्डी का पकड़ा गर्दन और पूछा – तुम इरफनवा को लभ लेटर लिखी? गुड्डी बोली – पहले इरफ़ान ने हमको लिखा अपना खून से! तो हम का करते? हम जवाब दे दिए अपना खून से! असलम का होश उड़ गया। अब क्या करे?

घर पे अम्मी ने गुड्डी को मारा स्वेटर बुनने वाला काँटा से, ताड़ का पंखा से, पर गुड्डी ने इरफ़ान को ख़त लिखना क़बूल नहीं किया। बमक के अम्मी प्रिन्सिपल साब से बोलीं – गुड्डी हाथ से निकल गयी. स्कूल से उसका नाम कटवा दीजिए और बैठा दीजिए घर।

पर अब्बा उलटा असलम पे चढ़ बैठे। बोले – असलम ना तो अपना बहन को सम्भाल पाया ना अपना दोस्त को कंट्रोल किया। सब क़सूर है असलम का.

असलम का दिमाग़ भनभना गया। असलम छत पे चला गया। देखा इरफ़ान के छत पे घुप्प अंधेरा।

अपने कमरे में आ कर असलम सोचने लगा – इरफ़ान के अब्बू ने उसको घर से निकाल दिया तो इरफ़ान जाएगा कहाँ? रहेगा कहाँ? कहीं इरफ़ान के अब्बू ने उसको खर्चा देना बंद कर दिया तो इरफ़ान गुज़ारे के लिए क्या करेगा? असलम को लगा – वो इरफ़ान के बारे क्यों सोच रहा है – सब तो उसी का किया धरा है। अगले मिनट असलम को ख़याल आया कहीं अम्मी ने रियल में गुड्डी को घर बैठा दिया तो? प्रिन्सिपल ज़ाकिर साब की बेटी के इश्क़ की खबर अब्बा के कॉलेज में फैल गयी तो? घर की इज़्ज़त तेल में मिल गयी तो? असलम ने दोनों का इश्क़ क्यों नहीं देखा? देखा तो था उसने! तो रोका क्यों नहीं? कुछ किया कयीं नहीं? अब्बा सही बोले – ग़लती असलम का ही है! और असलम का होश उड़ गया। असलम बिस्तर छोड़ छत पे टहलने लगा.            

उस रात, दोनों घरों में कोई नहीं सोया। ज़ोहरा बेगम को नींद तो बहुत ज़ोर मार रहा था लेकिन टेंशनिआए सलीम साब ने ज़ोहरा बेगम को एक मिनट भी सोने नहीं दिया। बस रज्जो थी खुश। लेकिन इक्सायट्मेंट के मारे उसको भी नींद नहीं आयी … 

टाइम सुनवायी का आ गया। दोनों परिवार असलम के घर। मुजरिम गुड्डी और इरफ़ान आमने सामने। सब ख़ामोश। ज़ोहरा बाई ने इशारा किया।

सलीम साब – इरफ़ान गुड्डी का ख़त के बारे ज़ाकिर को बताओ

इरफ़ान – हमरे पास कोई ख़त नहीं।

रज्जो – झूठ! हम जानते हैं आप लभ लेटर कहाँ हाइड किए हैं। 

ज़ोहरा – तो रुकी काहे हो? ले के आओ!

रज्जो भगी!

गुड्डी लगी रोने – लेटर दखने के बाद वो ज़िंदा भी बचेगी कि नहीं?

इरफ़ान को लगा – जब गर्दन कटना ही है तो सोचना का फ़ायदा?

रज्जो भागती आयी और लेटर प्रिन्सिपल साब को पकड़ा दिया! प्रिन्सिपल साब सकपका गए। बेटी का लिखा लभ लेटर पढ़ें कैसे?

ज़ोहरा बेगम समझ गयी उन्होंने इज़्ज़त से प्रिन्सिपल साब से ख़त लिया और पढ़ना शुरू किया।

अबे इरफनवा,

कल रात प्लानिंग है। सेटिंग हो गया है। टोनिया का फार्म से मुर्ग़ा पार करेंगे। जाएँगे मालिया के छत पे। मालिया बनाएगा मुर्ग़ा। और हम लोग करेंगे – पार्टी।  कितना बार तुमसे बात करना चाहे पर तुम तो साला 24 घंटा जोहरा बाई का जेल में रहता है। तुमरा फ़ोन भी छिना गया है। इसलिए लेटर भेज रहे हैं। गुड्डी सीधा है। उसपे कोई शक नहीं करेगा। हमको तो माँ – बेटी बना दी है शैतान का बाप। तुमको लेटर देते कहीं रज्जो देख ली तो साली करेगी चुग़ली और पिटाओगे बेटा तुम. अब्बा बोले सुनते थे की दूसरा निकाह के बाद आदमी ब्लाइंड हो जाता है। अब देख लिए जोहरा बाई के लभ में सलीम ऐसा अंधरा गया है की उसको अपना बेटा भी नहीं दिखायी देता!

पर तुमरा आँख ठीक है ना बे! मुर्ग़ा दबाने आ जाना. डॉट 9 बजे!

असलम लेटर कैसे बदलाया? गुड्डी ने इरफ़ान को देखा। इरफ़ान ने असलम को। असलम अपने दूरबीन की सेटिंग से खेल रहा था।

ज़ोहरा बेगम का चेहरा लाल। सलीम साब शर्म से पानी। सलीम साब उठे और सनसनाते हुए निकल गए। उनके पीछे ज़ोहरा, इरफ़ान और लास्ट में दुखों के पहाड़ के नीचे दबी रज्जो!

अम्मी गुड्डी के पास आयीं, बोलीं – अपना भाई को बचाने ले लिए तुम झूठ बोली न? कितना मार खायी! और गुड्डी को चिपटा लीं।

प्रिन्सिपल साब मुस्कुराते हुए असलम से पूछे – बूढ़वा मलिया अभी भी चुरायल मुर्ग़ा बनाता है? हमलोग का टाइम सलीमवे एक्स्पर्ट था मुर्ग़ा चुराने में। खूब उड़ाए है हम लोग भी!

क्लास में पीछे गुड्डी बैठी थी अकेली। असलम उसके हाथ में कुछ पकड़ा के बोला – तुमरा लिखा लभ लेटर. गुड्डी असलम का हाथ पकड़ ली बोली – तुम हमारे भाई नहीं होते तो हम क्या करते?

तभी इरफ़ान आया और बोला – असलमवा तुमसे मिलने जुलने का बैन तैन खतम। फ़ोनवो वापस मिल गया। साला तुम हमरा दोस्त नहीं होता तो हम का करते?

असलम – और हमरे दूरबीन नहीं होता तो हम क्या करते?

और असलम निकल गया

*विपुल मयंक कहानियाँ कहते हैं। पिछले 27 बरसों में उन्होंने टेलीविज़न और वेब के लिए जाने कितनी ही कहानियाँ लिखी हैं और और शो प्रोड्यूस किए हैं। सोनी लाइव के लिए बहुचर्चित वेब सीरीज़ ‘16’ उनके द्वारा हाल में लिखा गया और उन्हीं के द्वारा प्रोड्यूस किया गया बड़ा शो है। स्टार इंडिया, सोनी, चैनल 9 और टेलिविजन 18 सहित देश का कोई ऐसा बड़ा चैनल नहीं है जिसके लिए विपुल अपनी क्रिएटिव हिस्सेदारी ना की हो। किसी सुखद संयोग के चलते वह हमारे संपर्क में आए और हमें ये बहुत ही मासूम कहानी पढ़ने को मिली।

7 COMMENTS

  1. Vipul Mayank’s stories take you to your origins, far from the hustle and bustle of the fast and busy life in the metros.

  2. ई साला दुरभिनवा तो कमाल का चीज लगता है. हमको अपना यंग ऐज में देखने भी नहीं मिला, लेकिन ये कहानी पढ़कर फील हुआ ससुर हमें बचाये थे इरफ़नवा को.

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