कैसे कम करें अपने टैक्स का बोझ

नितिन प्रधान *

वित्त वर्ष समाप्त होने जा रहा है। आपकी टैक्स देनदारी इस वर्ष आपकी तरफ से टैक्स छूट स्कीमों में किये गये निवेश के आधार पर ही तय होंगी। इसलिए आपके पास अब आखिरी मौका बचा है जिसमें आप अपनी आमदनी पर लगने वाले आयकर को कम करने के लिए ऐसी स्कीमों में निवेश कर सकते हैं। आमतौर पर नौकरीपेशा लोगों के वेतन से ही स्रोत पर आयकर की कटौती होती रहती है। लेकिन बावजूद इसके आपकी टैक्स देनदारी कम हो सकती है तो आपको इन उपायों को अवश्य जान लेना चाहिए।

नौकरीपेशा लोगों के पास टैक्स बचाने के विकल्प बेहद सीमित होते हैं। इनमें भविष्य निधि या प्रोविडेंड फंड, पब्लिक प्रोविडेंड फंड, जीवन बीमा पॉलिसी, पांच वर्षीय सावधि जमा योजनाएं, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, म्यूचुअल फंड की टैक्स सेविंग इक्विटी स्कीम, नेशनल पेंशन स्कीम और किराया रसीद जैसे आखिरी वक्त के निवेश विकल्प शामिल हैं। वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद अपने सालाना आयकर रिटर्न को दाखिल करते वक्त इन्हीं मदों में किये गये निवेश के जरिए आप टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। ये सभी विकल्प आयकर की विभिन्न धाराओं के तहत मिली छूट के तहत आयकर में कटौती की सुविधा प्रदान करते हैं। क्लियर टैक्स से जुड़ी सीए नमिता शाह के मुताबिक आयकर की धारा 80 सीसी के तहत 150000 रुपये के निवेश की सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी कई ऐसे विकल्प हैं जिनके जरिए आप टैक्स की देनदारी कम कर सकते हैं।

  1. घर का किराया : यदि आप किराये के घर में रहते हैं तो आप आयकर अधिनियम की धारा 80GG के तहत आप दिये गये किराये पर टैक्स की छूट प्राप्त कर सकते हैं। हां, इसके लिए यह जरूरी है कि आप अपने वेतन में एचआरए का दावा नहीं करते हों। इसके लिए आपको ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करते वक्त फार्म 10BA भरना होगा। लेकिन इसका दावा करते वक्त यह आवश्यक है कि आपकी पत्नी/पति, अव्यवस्क बच्चों के नाम उस शहर में कोई प्रोपर्टी नहीं होनी चाहिए जहां आप कार्यरत हैं।
  2. स्वास्थ्य बीमा : आपके अपने, पत्नी, बच्चों और माता पिता के लिए अगर आप स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत कोई भुगतान करते हैं तो उस पर आयकर अधिनयम की धारा 80D के तहत टैक्स देनदारी में छूट का लाभ लिया जा सकता है। आपके अपने परिवार यानी पति, पत्नी और बच्चों के प्रीमियम पर अधिकतम 25000 रुपये का लाभ लिया जा सकता है। जबकि माता पिता यदि उनकी आयु 60 वर्ष से कम है तो अलग से 25000 रुपये की छूट प्राप्त की जा सकती है। यदि माता पिता की आयु 60 वर्ष से अधिक है तो आयकर अधिनयम में 50000 रुपये तक की छूट का प्रावधान है।
  3. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) : हालांकि नेशनल पेंशन स्कीम में किया गया योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा के भीतर आता है। लेकिन आप एनपीएस की टियर 1 खातों में निवेश कर 50000 रुपये का अतिरिक्त लाभ भी ले सकते हैं। यह प्रावधान 80C की सीमा के अतिरिक्त छूट प्रदान करता है।
  4. शिक्षा ऋण पर ब्याज :  आयकर अधिनियम की धारा 80E के अंतर्गत आप स्वयं, पत्नी/पति और बच्चों के लिए लिये गये एजुकेशन लोन के ब्याज भुगतान पर टैक्स की छूट हासिल कर सकते हैं। लेकिन यह सुविधा एजुकेशन लोन लेने की तिथि से अगले आठ वर्ष के लिए ही मिलती है। याद रखें कि यह लाभ केवल लिये गये लोन पर किये जा रहे ब्याज के भुगतान पर ही मिलता है, अदा की जा रही मासिक किस्त की मूल राशि पर नहीं।
  5. दान (Donation) : ऐसे फंड जिनमें योगदान पर आयकर की छूट का प्रावधान हो, में निवेश कर आप आयकर अधिनियम की धारा 80G के तहत अपने योगदान पर टैक्स छूट का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। कर कटौती की सीमा का निर्धारण इस बात से होगा कि वह संस्था किस श्रेणी में आती है। सभी श्रेणियों के लिए कर कटौती की अलग अलग सीमाएं निर्धारित हैं। यह सीमा योगदान की राशि का 50 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक हो सकती है। लेकिन वस्तुओं में किये गये दान या योगदान पर टैक्स छूट का प्रावधान नहीं है। लाभ सिर्फ चेक, ड्राफ्ट, नकद योगदान पर भी प्राप्त होता है। अलबत्ता 2000 रुपये से अधिक के नकद दान पर भी कर कटौती का लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता।

यह सभी लाभ वित्त वर्ष 2020-21 में किये गये योगदान पर ही प्राप्त किये जा सकते हैं।

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*दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख रहे नितिन प्रधान बीते 30 वर्ष से मीडिया और कम्यूनिकेशन इंडस्ट्री में हैं। आर्थिक पत्रकारिता का लंबा अनुभव।

Cover Image by Steve Buissinne from Pixabay

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