1. चल पड़े भ्रम मनोज पाण्डे* अपनी पुरानी घड़ीइतराती थीजब चलती थीटक टक कर। शांत हो जाती थी,जब  रुकती थीथक थक कर। तब हिलाते थेथप-थपाते थेचलती घड़ी से मिलाते थे। धुंधलाए...
विजय प्रताप* भाजपा-आरएसएस प्रतिष्ठान ने पिछले 6 वर्षों में आचरण के तमाम मूल्यों को तिलांजलि देते हुए सामाजिक समरसता को नष्ट करने वाली, पक्षपात-पूर्ण सत्ता की हदें पार कर दी हैं। सरकार के...
-राजेंद्र भट्ट* अक्सर ऐसा होता है कि हम किसी  तथ्य के  अटपटेपन को  बार-बार देखते हुए भी उस पर गौर नहीं करते, हमारा  दिमाग  उस  विचित्रता को, क्षण भर ठहर कर, पकड़ नहीं...
As BJP Government enters seventh year of its electoral dominance, signs of creeping influence of the rightist thinking can be seen to be affecting areas which are generally removed from the electoral fortunes of political parties, such...

शक़

शक़ कहानी की पृष्ठभूमि असम का बोड़ो जनजातीय इलाका है। कब बोड़ो अस्मिता के लिए शुरू हुई जद्दोजहद शांतिपूर्ण आंदोलन से खिसककर आतंकवाद की गोद में चली गई यह इस कहानी में बड़े ही स्वाभाविक तरीके...
बिना किसी पूर्व-चेतावनी के हुए लॉक-डाउन ने देश के बड़े शहरों में रह रहे दिहाड़ी मज़दूरों को जिस तरह अचानक बेघर कर दिया और उन्हें जिन हालातों में पैदल ही सैंकड़ों मील चलकर अपने घरों को लौटना...
For past some years in politics, there is less emphasis on ‘swing voters’ and an overt effort to keep the hardcore base sufficiently motivated to stay active in political sphere. This has resulted in dilution of...
क्या है भारत माता? क्या है अपना भारत? पंडित नेहरू की पुण्यतिथि पर राजेन्द्र भट्ट* की आज के संदर्भ में प्रासंगिक श्रद्धांजलि आज 27 मई है - पंडित नेहरू...
जय गोपाल कुमरा 85-वर्षीय जय गोपाल कुमरा आज जब टेलीविज़न पर प्रवासी मजदूरों की बदहाली देखते हैं तो व्यथित हो उठते हैं। उन्होंने किशोरावस्था में देश का विभाजन देखा था और उस वक़्त...
ओंकार केडिया* मुझे नहीं देखने शहरों से गाँवों की ओर जाते अंतहीन जत्थे, सैकड़ों मील की यात्रा पर निकले थकान से...

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