राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती – 5 रेलवे स्टेशन के पास वह एक सँकरे घरों-गलियों वाली ‘मुस्लिम’ बस्ती थी। उर्दू में बहुत सारे पोस्टर-झंडियाँ लगी थीं। उस छोटे शहर की अपनी...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती – 5 कैसे होते हैं सच्चे वीर? क्या होती है वीरता? हम बड़े भाग्यवान हैं कि देश के जन-जन में, कण-कण में बसे राम हमारे...
Sudhirendar Sharma Need I say that in the celluloid world ख़्वाब features predominantly for not only building the fictional narrative but to move the story forward too. That ख़्वाब (dream)...
देश भर में वर्तमान में चल रहे छात्र आंदोलनों, नागरिकता कानून विरोधी आंदोलनों या मोदी सरकार के कार्यकाल में उठने वाले अन्य संभावित प्रतिरोध के स्वरों से क्या ऐसी कोई ऊर्जा पैदा होगी जो समाज में पिछले...
Sudhirendar Sharma In many ways, words are double edged. Subject to how these are arranged and uttered, same set of words under different situations could be either innocuous or venomous. Whichever...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती – 4 बहुत समय से मैं  ‘सेन वॉइस’ यानि विवेकपूर्ण आवाज़ के बारे में कुछ लिखना चाहता रहा हूँ। इसके पीछे एक प्रसंग है...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती – 3 पिछली बार नल-दमयंती की प्रेम- कथा की बात कही थी। नोट कीजिए कि ये प्रेम-कथा हमारे संस्कृत ग्रंथ ‘महाभारत’ में है। बल्कि इस...
राजेन्द्र भट्ट नक्कारखाने में तूती - 2 पिछली बार ज़िक्र किया था कि गीता में कितने सुंदर तरीके से स्वयं कृष्ण कहते हैं कि अगर जड़ वैराग्य सही रास्ता...
Sudhirendar Sharma There are few lyricists and musicians who created compositions both for the masses and classes. In this regard, I am often reminded of the formidable duo of Raja Mehdi Ali Khan and...
राजेन्द्र भट्ट लगता है कि हम इस समय एक बड़े नक्कारखाने में हैं जिसमें, सीधे-सीधे कहें तो ‘पोस्ट-ट्रुथ’ का शोर, धोंस-पट्टी और बेसुरापन है। सोशल मीडिया ने सम्पादकीय संस्था तथा तथ्यों की पड़ताल के फिल्टर...

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