नन्दिता मिश्र* आज (29 मार्च) को हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि भवानी प्रसाद मिश्र का जन्मदिवस है। इस अवसर पर हमें उनकी पुत्री नन्दिता मिश्र का एक लेख प्राप्त हुआ...
........अनुवाद - राजेंद्र भट्ट 2018 का वर्ष अपने हिसाब से इतिहास में तोड़-मरोड़, देशद्रोह और देशभक्ति के सर्टिफिकेट देने और बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं बनाने के गौरव-यशोगान में पिछले वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ता...
बारिश बारिश से बारिश, आज ज़रा जम के बरसना, उन काँपती बूढ़ी हथेलियों में थोड़ी देर के लिए ठहर जाना, बहुत...
कर्नल अमरदीप* इस वेबपत्रिका के लिए नए नहीं हैं। आप पहले भी उनकी कवितायें यहाँ देख सकते हैं। आज प्रकाशित की जा रही ये दोनों कवितायें सुकोमल अनुभूतियों की ...
1 - ज़िन्दगी के इस सफ़र में आये कैसे मरहलेबघनखे हाथों में लेकर लोग मिलते हैं गले ! मैं जिरहबख़्तर पहनकर घूमता हूं शहर मेंऔर आख़िर दूर करता हूं दिलों...
Ajeet Singh* (Radio-Vaani 5) Mrs Ekka, my neighbour’s wife suddenly held me by both my wrists and asked me to tell the truth as I stood at the entrance of...
ओंकार केडिया* इन उजड़ी झोंपड़ियों के आसपास कुछ टूटी चूड़ियां हैं,कुछ बदरंग बिंदियाँ हैं,कुछ टूटे फ्रेम हैं चश्मों के,कुछ तुड़ी-मुड़ी कटोरियाँ हैं.यहाँ कुछ अधजली बीड़ियाँ हैं,कुछ...
ओंकार केडिया* मुझे नहीं देखने शहरों से गाँवों की ओर जाते अंतहीन जत्थे, सैकड़ों मील की यात्रा पर निकले थकान से...
राजेन्द्र भट्ट* ‘जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध’ - रामधारी सिंह दिनकर की यह कालजयी चेतावनी समर से मुंह छिपाए, सुविधाजीवी वर्ग को आज भी आईने की तेज चमक दिखा सकती...
ओंकार केडिया* बेटे, बहुत राह देखी तुम्हारी, बहुत याद किया तुम्हें, अब आओ, तो यहीं रहना, खेत जोत लेना अपना,

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