विपुल मयंक* असलम का दोस्त था इरफ़ान। पकिया। दोनों क्लास दस में थे - एक ही स्कूल में! असलम की कोठी के बग़ल में थी इरफ़ान की कोठी। दोनों कोठियों के बड़े अहाते...
शक़ कहानी की पृष्ठभूमि असम का बोड़ो जनजातीय इलाका है। कब बोड़ो अस्मिता के लिए शुरू हुई जद्दोजहद शांतिपूर्ण आंदोलन से खिसककर आतंकवाद की गोद में चली गई यह इस कहानी में बड़े ही स्वाभाविक तरीके...
ओंकार केडिया* एक उदास सी चिड़िया वक़्त-बेवक्त कभी भी आ जाती है मुझसे मिलने, मेरा हाल जानने!
डॉ. शालिनी नारायणन* 'एक दोपहर स्टेशन की' कहानी का यह अंतिम भाग है। यदि आप इसके पिछले भाग पढ़ना चाहें तो यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं। चाय का कप वहीं छोड़ कर...
Ajeet Singh* (Radio-Vaani 7) - Special on Kargil Vijay Divas 26th July Kargil was largely a deserted town when our cavalcade reached here in the midst...
सत्येन्द्र प्रकाश*  आज भी वैद्यजी खाना खा कर बाहर निकले। उनके बाएं हाथ में पानी का लोटा था और दाएं हाथ में दाल और भात मिला हुआ एक बड़ा कौर (निवाला)। बाहर निकल कर...
अजंता देव हिन्दी कविता जगत की सुपरिचित कवि अजंता देव को पिछले दिनों राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से विशिष्ट साहित्यकार पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस वेब-पत्रिका की ओर से जब...
ओंकार केडिया* मास्क - 1 तुम्हारे मुँह और नाक पर मास्क लगा है, पर तुम बोल सकते हो,
ओंकार केडिया* इस वेब पत्रिका के लिए बीच-बीच में कविताएं लिखते रहे हैं। यह उनकी कुछ नई कविताएं हैं। घटना या दुर्घटना ? सालों...
संकल्प घूम-घूम कर आता है  वह ज़िद्दी मच्छर, भिनभिनाता है  मेरे कानों के पास, जैसे बजा रहा हो 

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