गौरी डे *
पेड़ का धर्म
पेड़ एक, जड़ अनेकबढ़ता है पेड़और बढ़ती हैं टहनियाँ भी
बढ़ा हुआ पेड़ छाया देता हैऔर वो...
अजंता देव*
नया स्त्री प्रबोध -१
अगर पुरुष तुम्हारी देह माँगेतुम उसकी आत्मा माँगोऔर अगर वह तुम्हारी आत्मा माँगेतुम्हें उसकी देह माँगनी चाहिए ।
नया स्त्री प्रबोध -२
आश्चर्य होता है कि कविता अपना रस, अपना पोषण कहाँ-कहाँ से ढूँढ निकालती है। कवि की नज़र अनछुई, अनजानी जगहों में जैसे बेखौफ घुस जाती है और लगभग एक जासूस की तरह कोने में दुबकी महत्वहीन...
योगेन्द्र दत्त शर्मा*
कभी जनकवि नज़ीर अकबराबादी ने 'आदमीनामा' लिखा था। उस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लगभग दो सदियों बाद मैंने नये दौर का 'एक और आदमीनामा' तैयार किया है। सो प्रस्तुत...
अजीत सिंह*
कैमला, जो चंद रोज़ पहले तक एक अज्ञात सा गांव था, हाल ही में मीडिया की सुर्खियों में आया है। गत रविवार दस जनवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री को वहां...
Rocky Gauri*
1. The Truth pen
Old pen died drawing
Its final word-- beautiful
Young pen begins drawing
Its first word –...
सत्येन्द्र प्रकाश*
बुधवार की शाम थी। प्रिंसिपल साहब के घर बच्चे तैयार हो रहे थे। बुधवार की शाम को टीचर्स ट्रैनिंग स्कूल में संगोष्ठी का आयोजन होता था। प्रशिक्षु शिक्षक संगोष्ठी में अपने अपने...
मनोज पाण्डे*
पग-पग जमी घूल से उठते सिरों का जमघटढक लेता माटी को,पतझड़ कुछ ज़्यादा हुआ सा.
अधूरी इच्छाओं को दांतों से मसलकरहँसते होंठ खिसियाई हँसी को,
अजंता देव*
वह थोड़ा हंसा और सोचने लगा कि री की नज़र कहाँ-कहाँ जाती थी। उसे कई बार अपना जीवन बेस्वाद लगता था - वही एक कमरा, वही एक काम। सुबह से...
अव्यक्त*
क्या आप किसी ऐसे सफल व्यवसायी की कल्पना कर सकते हैं जिसने सफल होते हुए भी अपनी कोई व्यक्तिगत संपत्ति ना बनाई हो, उसका कोई व्यक्तिगत बैंक अकाउंट ही ना हो? हमसे...